मुंबई : महाराष्‍ट्र में सरकार गठन को लेकर भाजपा और शिवसेना के बीच लगातार खिंचतान जारी है. एक ओर भाजपा की गठबंधन सहयोगी शिवसेना जहां सत्ता में बराबरी की हिस्सेदारी की मांग कर रही है वहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने शनिवार को जोर देकर कहा कि भाजपा सबसे बड़े दल के तौर पर उभरी है और भाजपा के नेतृत्व वाला गठबंधन प्रदेश में स्थिर सरकार देगा.

इस बीच शिवसेना को दो विधायकों का समर्थन मिल गया है. प्रहार जनशक्ति पार्टी के दो विधायकों ने शिवसेना को समर्थन कर दिया. अचलपुर विधानसभा क्षेत्र के बच्चू कडू और मेलघाट विधानसभा क्षेत्र के राजकुमार पटेल ने शनिवार रात शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से मुलाकात की और उन्हें अपना समर्थन दिया.

गौरतलब हो शिवसेना ने अपने सहयोगी दल भाजपा से शनिवार को लिखित में आश्वासन मांगा कि वह महाराष्ट्र में ‘सत्ता में बराबर की हिस्सेदारी के फार्मूले’ (50:50) को लागू करेगी. वहीं, विपक्षी कांग्रेस ने कहा है कि उद्धव ठाकरे नीत पार्टी को ‘वैकल्पिक व्यवस्था’ तलाशनी चाहिए.

शिवसेना के नवनिर्वाचित विधायकों ने मुंबई में पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के आवास पर उनसे मुलाकात की. उन्होंने उनके (उद्धव के) बेटे एवं युवा सेना प्रमुख आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाने की मांग की. राज्य में 21 अक्टूबर को हुए विधानसभा चुनाव में शिवसेना के 56 सीटों पर जीत दर्ज करने के दो दिनों बाद नवनिर्वाचित विधायकों ने ठाकरे से मुलाकात की.

उन्होंने शिवसेना प्रमुख को नयी सरकार के गठन के बारे में फैसला लेने के लिये अधिकृत किया. शिवसेना के एक विधायक ने कहा, उद्धव ठाकरे ने भी कहा है कि ‘उनके पास अन्य विकल्प खुले हैं.’ लेकिन वह उन्हें तलाशने में रूचि नहीं ले रहे हैं क्योंकि भाजपा और शिवसेना हिंदुत्व की विचारधारा की डोर से एक दूसरे से बंधी हुई है.

इधर मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने कहा, जनादेश में भाजपा, शिवसेना (और अन्य सहयोगियों) आरपीआई, आरएसपी और शिव संग्राम को स्पष्ट बहुमत मिला है. इस जनादेश का सम्मान किया जाएगा इसमें किसी को शंका नहीं होनी चाहिए.

उन्होंने कहा, जनादेश के मुताबिक भाजपा सबसे बड़ी पार्टी है. हम दिवाली के बाद विधायक दल का नेता चुनेंगे और उसके बाद जल्द ही नयी सरकार का गठन होगा। भाजपा के नेतृत्व वाला गठबंधन मजबूत और स्थिर सरकार देगा.

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि भाजपा का स्ट्राइक रेट 2014 से बेहतर रहा है. उन्होंने कहा कि भाजपा ने 2014 में 260 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें से 47 प्रतिशत सीटें जीती थीं और कुल मतों का 28 प्रतिशत प्राप्त किया था, जबकि 2019 में भाजपा ने 150 सीटों पर चुनाव लड़ा जिसमें से 70 प्रतिशत सीटें जीतीं और 26 प्रतिशत मत प्राप्त किया.