‘राज्यों के पास फ्रीबीज के लिए धन हैं, जजों की सैलरी-पेंशन के लिए नहीं’, सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
मुंबई : बंबई हाईकोर्ट ने मंगलवार को 63 मून्स टेक्नालॉजी की ओर से दायर 10 हजार करोड़ रुपये के नुकसान की भरपाई के दावे वाले एक मामले में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम और दो वरिष्ठ अधिकारियों से जवाब मांगते हुए हलफनामा दाखिल करने को कहा है. न्यायमूर्ति एके मेनन ने चिदंबरम और दो अधिकारियों (केपी कृष्णन और रमेश अभिषेक) को आठ सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने को कहा है.
कंपनी, 63 मून्स टेक्नालॉजीज को इससे पहले फाइनेंसियल टेक्नालॉजीज लिमिटेड के नाम से जाना जाता था. कंपनी ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम तथा दो वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ 12 जून को मामला दायर किया. कंपनी ने इनके खिलाफ ‘दुर्भावनापूर्ण और बदनीयती’ से कार्रवाई करने का आरोप लगाया है. कंपनी ने कहा है कि चिंदबरम के वित्त मंत्री रहते 5,600 करोड़ रुपये के एनएसईएल घोटाले में उसके खिलाफ बदनीयती से कार्रवाई की गयी.
जिस समय का यह मामला है, तब केपी कृष्णन कौशल विकास मंत्रालय में सचिव के पद पर तैनात थे, तो रमेश अभिषेक वायदा बाजार आयोग के चेयरमैन थे. कंपनी ने अपनी याचिका में कहा है कि उसकी एक इकाई नेशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड (एनएसईएल) में सोची समझी रणनीति के तहत भुगतान संकट खड़ा किया गया और उसके बाद से उसके खिलाफ उसे लक्ष्य बनाकर लगातार दुर्भावनापूर्ण ढंग से कार्रवाई की गयी.
दायर मामले में कहा गया है कि विभिन्न जांच एजेंसियों की जांच में एनएसईएल, 63 मून्स और कंपनी के संस्थापक जिग्नेश शाह द्वारा धन के हेरफेर का कोई मामला साबित नहीं हो पाया, लेकिन चिदंबरम, कृष्णन और अभिषेक द्वारा रची गयी साजिश के तहत समूह को लगातार निशाना बनाया गया. कंपनी ने अपनी याचिका में इन लोगों से 10,000 करोड़ रुपये के नुकसान की भरपाई की मांग की है.
चिदंबरम आईएनएक्स मीडिया के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में कथित भ्रष्टाचार मामले में दो माह से न्यायिक हिरासत में जेल में बंद थे. उन्हें मंगलवार को इस मामले में जमानत मिल गयी है, लेकिन एक अन्य मामले में अदालत ने उन्हें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत में दे दिया है.