तीन तलाक कानून के खिलाफ मुस्लिम संगठन सुप्रीम कोर्ट पहुंचा
नयी दिल्ली : ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने एक बार में तीन तलाक को अपराध करार देने वाले कानून के खिलाफ सोमवार को उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की. मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम, 2019 तलाक-ए-बिद्दत या तलाक के ऐसे ही किसी अन्य रूप, जिसमें मुस्लिम पति तत्काल तलाक देता है, […]
नयी दिल्ली : ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने एक बार में तीन तलाक को अपराध करार देने वाले कानून के खिलाफ सोमवार को उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की.
मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम, 2019 तलाक-ए-बिद्दत या तलाक के ऐसे ही किसी अन्य रूप, जिसमें मुस्लिम पति तत्काल तलाक देता है, को निरर्थक और अवैध करार देता है. यह कानून बोलकर, लिखकर, एसएमएस अथवा वाट्सऐप या किसी अन्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से एक बार में तीन तलाक को अवैध करार देता है. इसमें कहा गया कि ऐसा करने पर दोषी पति को तीन साल की कैद हो सकती है या उस पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है.
एआईएमपीएलबी और कमाल फारुकी की तरफ से दायर याचिका में इस आधार पर कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गयी है कि यह मनमाना है और संविधान के अनुच्छेद 14,15,20 और 21 को प्रभावित करता है तथा हनफी (मत के) मुसलमानों पर लागू होने वाली मुस्लिम पर्सनल लॉ की अनावश्यक/गलत व्याख्या करता है. याचिका में कहा गया कि यह कानून मुसलमानों की जिंदगी और व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर गलत प्रभाव डाल रहा है.