नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद मामले में मुस्लिम पक्षकारों को अपने लिखित नोट उसके रिकॉर्ड में रखने की अनुमति दे दी है. हालांकि हिंदू पक्षकारों और शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री ने मुस्लिम पक्षकारों द्वारा सीलबंद लिफाफे में अपने लिखित नोट दायर कराने पर आपत्ति जताई है.

गौरतलब है कि 16 अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद मामले में सुनवाई पूरी हुई थी. कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा और कहा कि 23 दिन बाद कोर्ट अपना फैसला सुनायेगा. साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर किसी भी पक्ष की दलीलें बाकी हों तो वे तीन दिन के भीतर लिखित रूप में दे सकते हैं.

40 दिनों तक चली इस सुनवाई में हिंदू और मुस्लिम दोनों ही पक्षों ने अपनी-अपनी दलीलें रखीं और जमीन पर अपना दावा ठोंका. हिंदू पक्ष का कहना है कि मस्जिद बनाये जाने से पहले इस जमीन पर एक विशाल मंदिर था, जिसे उन्होंने साबित करने की कोशिश की, जबकि मुस्लिम पक्ष का कहना है कि वहां कभी कोई मंदिर नहीं था, जो मस्जिद थी वहां मुसलमान नमाज अदा करते थे.