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2 अक्तूबर से सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध, जानिए इंसान और जानवरों के लिए कितना है खतरनाक…

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2 अक्टूबर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर सरकार बड़ा फैसला ले रही है. इस दिन से एक बार इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक पर पूरी तरह पाबंदी लग जायेगी. बाजार से कोई भी सामान लाने, सब्जी लाने में आपको भले ही इससे सुविधा होती हो, लेकिन इससे होने वाला नुकसान उन सुविधाओं के कई […]

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2 अक्टूबर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर सरकार बड़ा फैसला ले रही है. इस दिन से एक बार इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक पर पूरी तरह पाबंदी लग जायेगी. बाजार से कोई भी सामान लाने, सब्जी लाने में आपको भले ही इससे सुविधा होती हो, लेकिन इससे होने वाला नुकसान उन सुविधाओं के कई गुणा ज्यादा खतरनाक है. झारखंड राज्य में कई बार प्लास्टिक पर बैन की कोशिश हुई लेकिन हर बार कुछ समय बाद बाजार में सिंगल यूज प्लास्टिक वापस आ जाती है.

झारखंड खादी ग्रामद्योग बोर्ड ने जूट की थैली का चलन बाजार में लाया था लेकिन समय के साथ इसकी मांग पूरी नहीं हुई. बाजार में फिर सिंगल यूज प्लास्टिक का चलन शुरू हो गया. आप जागरुक हों और सिंगल यूज प्लास्टिक से दूरी बनायें इसके लिए जरूरी है कि आप इससे होने वाले खतरनाक असर को समझ सकें. इसके लिए आपको जानना जरूरी होगा कि सिंगल यूज प्लास्टिक होती क्या है, इसके खतरनाक परिणाम क्या हैं और इसकी जगह किन चीजों को इस्तेमाल किया जा सकता है.
क्या है सिंगल यूज प्लास्टिक
नाम से ही जाहिर है एक ही बार इस्तेमाल के लायक प्लास्टिक. इसमें सिर्फ प्लास्टिक की थैलियां नहीं है थैलियों के साथ है , ग्लास, प्लेट, छोटी बोतलें, स्ट्रॉ और कुछ पाउच सिंगल यूज प्लास्टिक के तहत आते हैं. ये दोबारा इस्तेमाल के लायक नहीं होते इसलिए इन्हें कचड़े में सड़क किनारे या कहीं भी फेंक दिया जाता है. इस तरह की प्लास्टिक पेट्रोलियम आधारित उत्पाद होते हैं. इनके उत्पादन पर खर्च बहुत कम आता है.इसलिए आसानी से और कम कीमत पर बाजार में उपलब्ध होते हैं. आप यह समझ लीजिए कि इसके उत्पादन पर भले कम खर्च हो लेकिन प्लास्टिक के कचरे, उसकी सफाई पर काफी खर्चा होता है.
अब जानिए कितनी खतरनाक है
इस तरह की प्लास्टिक का पर्यावरण के साथ- साथ इंसान के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है. जितनी भी प्लास्टिक का इस्तेमाल हम करते हैं उसमें से करीब 91 फीसद का रिसाइकल नहीं किया जा सकता है. एक वर्ष में 52 हजार से ज्यादा प्लास्टिक के माइक्रो कण खाने-पानी और सांस के जरिए इंसान के अंदर जा रहा है.इसमें अगर वायु प्रदूषण को भी मिला दें तो हर साल करीब 1,21,000 माइक्रोप्लास्टिक कण खाने-पानी और सांस के जरिए एक व्यस्क पुरुष के शरीर में जा रहे है. मनुष्य की रोगों से लड़ने की क्षमता, जनन क्षमता प्रभावित होती है और यह कैंसर का भी कारण बनता. 2016 में समुद्र में 70 खरब प्लास्टिक के टुकड़े मौजूद थे, जिसका वजन तीन लाख टन से अधिक है.
एक अनुमान के मुताबिक 2050 तक समुद्र में मछलियों से अधिक संख्या प्लास्टिक की होगी. प्लास्टिक के जलने से उत्सर्जित होने वाली कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा 2030 तक तीन गुनी हो जाएगी.सिंगल यूज प्लास्टिक को अगर जमीन के अंदर दबाकर नष्ट करने की कोशिश होती है तो यह नष्ट नहीं होता बल्कि कई छोटे-छोटे टुकड़ों में बंटकर खतरनाक रसायन पैदा करता है . जो मिट्टी की उपजाऊ क्षमता को नुकसान पहुंचाता है. मिट्टी के जरिये यह खतरनाक जहरीला रसायन हमारे खाद्य पदार्थों और पानी में पहुंचता है, जिससे मानव शरीर को काफी नुकसान पहुंचता है. पूरी दुनिया में लोग हर मिनट लगभग 10 लाख प्लास्टिक की बोतल खरीदते हैं. प्लास्टिक की थैलियों की बात करें तो हर साल 40 हजार करोड़ प्लास्टिक की थैलियों का इस्तेमाल होता है. हर दिन 5 लाख स्ट्रॉ का इस्तेमाल होता है और हर दिन करीब 500 अरब प्लास्टिक के प्याले का इस्तेमाल होता है.
क्या हो रहा है असर
प्लास्टिक के इस्तेमाल का खतरनाक असर पर्यावरण और स्वास्थ्य पर पड़ रहा है. इसके अलावा हर साल करीब 11 लाख समुद्री पक्षियों और जानवरों की प्लास्टिक की वजह से मौत हो रही है. 90 फीसदी पक्षियों और मछलियों के पेट में प्लास्टिक मिल रही है. एक रिसर्च के मुताबिक, करीब 700 समुद्री जीव प्लास्टिक प्रदूषण के कारण लुप्त होने की कगार पर हैं. सिर्फ समुद्री जानवर पर ही नहीं इसका सीधा असर आप पर भी पड़ रहा है. एक रिसर्च करता है इंसान औसतन हर साल 70 हजार माइक्रोप्लास्टिक का सेवन कर रहा है.
विकल्प क्या है
हमने आपको प्लास्टिक कितना खतरनाक है और इसका क्या असर हो रहा है बता दिया. अब विकल्प पर नजर डाल लेते हैं हमारे पास क्या हैं.
आप कोल ड्रिंक या पेय के लिए प्लास्टिक के स्ट्रो की जगह पेपर के स्ट्रो का इस्तेमाल कर सकते हैं. पानी के बोतल जो प्लास्टिक के होते हैं इसकी जगह शीशा, धातु, कॉपर और सेरामिक का उपयोग हो सकता है. पेपर के कप, ग्लास. प्लास्टिक की थैली की जगह जूट की थैली, कागज की थैली का इस्तेमाल हो सकता है. खाने के लिए प्लास्टिक के चम्मत की जगह लकड़ी के चम्मच का इस्तेमाल कर सकते हैं. हमारे पास विकल्प है बस जरूरत है इसे आदत में लाने की इस्तेमाल करने की.
आप गांधी जयंती पर प्लास्टिक पर पूरी तरह से पाबंदी लगने का इतंजार मत कीजिए, कोशिश कीजिए आज से और अभी से प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद करने की.
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