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— ISRO (@isro) September 17, 2019
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ISRO ने चंद्रयान-2 को लेकर देश को बोला Thank you , कहा- भारतीयों के सपनों को साकार करते रहेंगे
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नयी दिल्लीः भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (ISRO) ने चंद्रयान-2 (Chandrayaan 2) के चांद पर लैंडिंग के दौरान लैंडर विक्रम के साथ संपर्क खोने के बाद देश भर से मिले समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया है. इसरो ने ट्वीट किया कि हमारे साथ खड़े होने के लिए धन्यवाद. हम दुनिया भर में भारतीयों की आशाओं […]
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नयी दिल्लीः भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (ISRO) ने चंद्रयान-2 (Chandrayaan 2) के चांद पर लैंडिंग के दौरान लैंडर विक्रम के साथ संपर्क खोने के बाद देश भर से मिले समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया है. इसरो ने ट्वीट किया कि हमारे साथ खड़े होने के लिए धन्यवाद. हम दुनिया भर में भारतीयों की आशाओं और सपनों से प्रेरित होकर आगे बढ़ते रहेंगे.
इस ट्वीट (Tweet) के साथ अंतरिक्ष विज्ञान जगत में भारत को गौरवान्वित करने वाले इस संगठन ने दुनियाभर में बसे भारतीयों के सपनों को साकार करने का भरोसा दिलाया है. बता दें कि ‘विक्रम’ लैंडर का 6-7 सितंबर की दरम्यानी रात को ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ के प्रयास के अंतिम क्षणों में उस समय इसरो के कंट्रोल रूम से संपर्क टूट गया था जब यह चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर था.
वैज्ञानिक अब भी अपने दूसरे मून मिशन चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर से संपर्क साधने में लगे हैं.हालांकि, अब विक्रम लैंडर से संपर्क की उम्मीद खत्म हो चुकी है. क्योंकि चांद पर रात होने में कुछ ही घंटे ही बचे हैं. चांद का पूरा दिन यानी सूरज की रोशनी वाला पूरा समय पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर होता है. यानी 20 या 21 सितंबर को चांद पर रात हो जाएगी.
14 दिन काम करने का मिशन लेकर गए विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर के मिशन का टाइम पूरा हो जाएगा. आज 18 सितंबर है, यानी चांद पर 20-21 सितंबर को होने वाली रात से करीब 3 घंटे पहले का वक्त. यानी, चांद पर शाम हो चुकी है. हमारे कैलेंडर में जब 20 और 21 सितंबर की तारीख होगी, तब चांद पर रात का अंधेरा छा चुका होगा.
मिशन का सिर्फ पांच फीसदी हिस्सा ही प्रभावित
इसरो के वैज्ञानिक ने बताया है कि मिशन का सिर्फ पांच फीसदी हिस्सा ही प्रभावित हुआ है. 95 फीसदी हिस्सा काम करता रहेगा. पांच फीसदी हिस्से में सिर्फ लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान से संपर्क टूटा है. इसकी वजह से चंद्रमा की सतह के बारे में जानकारी तो नहीं मिल पाएगी, लेकिन मिशन के बाकी 95 फीसदी एक्टिव हिस्से से दूसरी तरह की जानकारी मिलती रहेगी.
चंद्रयान 2 का ऑर्बिटर लगातार चांद के चक्कर काटता रहेगा और उसके जरिए इसरो के वैज्ञानिकों को जानकारी मिलती रहेगी. मिशन चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर अगले एक साल तक काम करता रहेगा. ऑर्बिटर चंद्रमा के कई तरह के तसवीर खींचकर धरती पर भेजेगा.
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