रेप और हत्या जैसे आरोप समझौते के बाद भी नहीं होंगे निरस्त:सुप्रीम कोर्ट

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि पीडि़त व आरोपी के बीच समझौता होने के बावजूद बलात्कार और हत्या जैसे संगीन आरोपों में आपराधिक कार्यवाही निरस्त नहीं की जा सकती है. न्यायालय के अनुसार समाज पर इसका गलत प्रभाव पड़ेगा. न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई और न्यायमूर्ति एनवी रमण की खंडपीठ ने कहा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 30, 2014 7:47 AM
an image

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि पीडि़त व आरोपी के बीच समझौता होने के बावजूद बलात्कार और हत्या जैसे संगीन आरोपों में आपराधिक कार्यवाही निरस्त नहीं की जा सकती है. न्यायालय के अनुसार समाज पर इसका गलत प्रभाव पड़ेगा.

न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई और न्यायमूर्ति एनवी रमण की खंडपीठ ने कहा कि दूसरे अपराध, जो सार्वजनिक शांति व्यवस्था से संबंधित नहीं हों और दो व्यक्तियों या समूह तक ही सीमित हों, पक्षों में समझौता होने के बाद निरस्त किये जा सकते हैं. न्यायाधीशों ने कहा कि हाइकोर्ट कार्यवाही निरस्त करने के लिए अपने विवेक का इस्तेमाल कर सकता है, जो प्रत्येक मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर निर्भर करेगा.

बलात्कार व हत्या आदि जैसे गंभीर अपराधों से संबंधित मामलों की कार्यवाही निरस्त नहीं की जा सकती क्योंकि इसका समाज पर हानिकारक प्रभाव पड़ेगा. शीर्ष अदालत ने कहा कि गंभीर अपराध के मामलों में यह नहीं कहा जा सकता कि वे दो व्यक्तियों या समूह तक सीमित थे. ऐसे अपराधों को निरस्त करने से समाज में गलत संदेश जायेगा. अदालत ने विभिन्न दोषियों द्वारा दायर याचिकाओं पर यह फैसला सुनाया.

Exit mobile version