चंद्रयान-2 : ऑर्बिटर से अलग हुआ लैंडर, पांच दिनों की यात्रा और, आज पहुंच जायेगा नयी कक्षा में

इसरो के वैज्ञानिकों ने सोमवार यानी दो सितंबर को चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से लैंडर ‘विक्रम’ को सफलतापूर्वक अलग करा दिया. इसरो के मुताबिक, आर्बिटर से लैंडर विक्रम को अलग कराने की प्रक्रिया दोपहर 12.45 बजे शुरू की गयी. दोपहर 01 बजकर 15 मिनट पर लैंडर विक्रम ऑर्बिटर को छोड़कर अलग हो गया. अब निर्धारित कार्यक्रम […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 3, 2019 6:47 AM
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इसरो के वैज्ञानिकों ने सोमवार यानी दो सितंबर को चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से लैंडर ‘विक्रम’ को सफलतापूर्वक अलग करा दिया. इसरो के मुताबिक, आर्बिटर से लैंडर विक्रम को अलग कराने की प्रक्रिया दोपहर 12.45 बजे शुरू की गयी.
दोपहर 01 बजकर 15 मिनट पर लैंडर विक्रम ऑर्बिटर को छोड़कर अलग हो गया. अब निर्धारित कार्यक्रम के तहत लैंडर विक्रम सात सितंबर को तड़के 1.55 बजे चंद्रमा की सतह पर लैंड कर जायेगा.
मंगलवार को सुबह 8.45 से 9.45 बजे के बीच विक्रम लैंडर चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर का पीछा छोड़ नयी कक्षा में जायेगा. तब यह 109 किमी की एपोजी और 120 किमी की पेरीजी में चांद का चक्कर लगायेगा. इसे वैज्ञानिक भाषा में डिऑर्बिट कहते हैं यानी जिस दिशा में वह जा रहा था, उसके विपरीत दिशा में आगे बढ़ना.
30 मिनट का समय लगा ऑर्बिटर से लैंडर ‘विक्रम’ को सफलतापूर्वक अलग कराने में
8.45 से 9.45 बजे के बीच ऑर्बिटर का पीछा छोड़ आज पहुंच जायेगा नयी कक्षा में
02 किमी प्रति सेकंड की गति से चांद के चारों तरफ ऑर्बिटर के विपरीत दिशा में लगायेगा चक्कर
07 सितंबर को करेगा चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग
रूस के मना करने पर इसरो ने बनाया स्वदेशी लैंडर ‘विक्रम’
लैंडर का नाम इसरो के संस्थापक और भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है. इसमें चार पेलोड हैं. यह 15 दिनों तक वैज्ञानिक प्रयोग करेगा. एक समय रूस ने भारत के लिए लैंडर बनाने से इंकार कर दिया था. रूस के मना करने पर इसरो ने स्वदेशी लैंडर बनाने की ठानी. इसकी शुरुआती डिजाइन इसरो के स्पेस एप्लीकेशन सेंटर अहमदाबाद ने बनाया था.
बाद में इसे बेंगलुरु के यूआरएससी ने विकसित किया. चांद के दक्षिणी ध्रुव पर जाने के लिए विक्रम लैंडर को अपनी दिशा बदलनी होगी. इसलिए उसे विपरीत दिशा में चांद का चक्कर लगाना होगा.
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