‘राज्यों के पास फ्रीबीज के लिए धन हैं, जजों की सैलरी-पेंशन के लिए नहीं’, सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
नयी दिल्ली : भारत की अर्थव्यवस्था में बीते 70 साल के दौरान उपजे सबसे बड़े संकट का बयान देने के बाद नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने अब यू-टर्न ले लिया है. राजीव कुमार ने अपनी सफाई देते हुए ट्वीट किया कि मैं मीडिया से आग्रह करता हूं कि मेरे बयान को गलत तरीके से परोसना बंद करे. अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए सरकार कड़े कदम उठा रही है और ऐसा आगे भी करती रहेगी. किसी भी तरह से घबराने की जरूरत नहीं है..
I would request the media to stop misinterpreting my statement. The government has been taking bold steps to accelerate our economy & will continue to do so. There is no need to panic or spread panic.
I would request the media to stop misinterpreting my statement. The government has been taking bold steps to accelerate our economy & will continue to do so. There is no need to panic or spread panic.
— Rajiv Kumar (@RajivKumar1) August 23, 2019
अपने दूसरे ट्वीट में उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था में अच्छी स्थिति लाने का सरकार प्रयास कर रही है. लोगों को यह भरोसा करना चाहिए कि स्थिति को संभालने के लिए सरकार कोशिशें कर रही है. दरअसल, गुरुवार को नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने एक कार्यक्रम में कहा था कि देश में 70 साल में अब तक नकदी का ऐसा संकट नहीं देखा गया है. सरकार के लिए यह अप्रत्याशित समस्या है. कोई किसी पर भरोसा नहीं कर रहा है. इसलिए वे नकदी पर बैठ गये हैं और कोई भी बाजार में पैसा नहीं निकाल रहा है.
उन्होंने अपने बयान में कहा था कि यह सिर्फ सरकार और निजी क्षेत्र की बात नहीं है. निजी क्षेत्र में आज कोई भी किसी को और कर्ज नहीं देना चाहता. हालांकि, राजीव कुमार ने मौजूदा समस्या के लिए यूपीए के कार्यकाल को जिम्मेदार ठहराया था. उन्होंने कहा था कि साल 2009 से 2014 के दौरान बिना सोच-विचार के कर्ज बांटा गया, जिससे साल 2014 के बाद एनपीए में बढ़ोतरी हुई.
राजीव ने कहा था कि एनपीए बढ़ने की वजह से अब बैंकों के नया कर्ज देने की क्षमता घट गयी है. साथ ही, उन्होंने कहा था कि कि बैंकों द्वारा कम कर्ज देने की भरपाई एनबीएफसी ने की है. एनबीएफसी के कर्ज में 25 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए हाल ही में पेश हुए बजट में भी कुछ कदमों की घोषणा की गयी है.
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