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शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम में राज्यपाल ने फहराया तिरंगा, NSA अजित डोभाल भी रहे मौजूद

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श्रीनगर : जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा है कि सशस्त्र बलों की सतत कार्रवाई से आतंकवादियों ने हार मान ली है. जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने के बाद यह पहला स्वतंत्रता दिवस है. मलिक ने गुरुवार को श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम में तिरंगा फहराया. ध्वजारोहण के बाद उन्होंने अर्धसैनिक बलों […]

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श्रीनगर : जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा है कि सशस्त्र बलों की सतत कार्रवाई से आतंकवादियों ने हार मान ली है. जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने के बाद यह पहला स्वतंत्रता दिवस है. मलिक ने गुरुवार को श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम में तिरंगा फहराया.

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ध्वजारोहण के बाद उन्होंने अर्धसैनिक बलों और जम्मू-कश्मीर पुलिस की परेड का निरीक्षण किया. बाद में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि केंद्र के फैसले के बाद लोगों को अपनी पहचान को लेकर चंतित होने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार की नीति आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने की है और सशस्त्र बलों की सतत कार्रवाई से आतंकवादियों ने हार मान ली है. मलिक ने कहा कि आतंकवादियों की भर्ती और जुमे की नमाज के बाद पथराव की घटनाओं में भारी कमी आयी है. इस बीच, संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत राज्य को मिला विशेष दर्जा खत्म करने के मद्देनजर यहां प्रतिबंध लागू रहा.

जम्मू-कश्मीर प्रशासन के प्रधान सचिव रोहित कंसल ने बताया कि बुधवार को श्रीनगर सहित कश्मीर के विभिन्न हिस्सों में प्रतिबंधों में ढील दी गयी. हालांकि, घाटी में कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए कुछ प्रतिबंध जारी हैं. अधिकारी ने बताया कि पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने के बाद से कश्मीर में शांति बनी हुई है. इसलिए सरकार ने कई इलाकों में लागू निषेधाज्ञा में ढील दी है.

ध्वजारोहण के बाद राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि अनुच्छेद 370 के तहत मिले विशेष दर्जे को खत्म करने के बाद राज्य के लोगों की पहचान न तो दांव पर है और न ही इसमें छेड़छाड़ हुई है. केंद्र की ओर से किये गये बदलाव को ऐतिहासिक करार देते हुए मलिक ने कहा कि इससे विकास के नये रास्ते खुलेंगे और जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख के विभिन्न समुदायों को अपनी भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा, ये बदलाव आर्थिक विकास और समृद्धि की बाधाओं को दूर करेंगे. मलिक ने कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि पिछले सभी चुनावों में लोगों का ध्यान रोटी, कपड़ा और मकान के मुद्दे पर नहीं लाया गया. राज्यपाल ने कहा, पिछले 70 साल में लोगों का ध्यान आर्थिक विकास, शांति और समृद्धि के मुख्य मुद्दों से भटकाया गया. इन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय लोगों को व्यर्थ मुद्दों में उलझाये रखा गया.

इस समारोह में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल भी शामिल हुए. मलिक ने कहा कि इस कदम से जम्मू-कश्मीर के लोगों को बेहतर प्रशासन, आत्मनिर्भरता और रोजगार के अवसर मिलेंगे. साथ ही देश के अन्य हिस्सों के साथ एकता और समानता का भाव पैदा होगा. राज्यपाल ने कहा, मैं जम्मू-कश्मीर के लोगों को भरोसा दिलाना चाहता हूं कि उनकी पहचान न तो दांव पर है और न ही इसमें छेड़छाड़ हो रही है. भारतीय संविधान क्षेत्रीय पहचान को समृद्ध करने की इजाजत देता है. किसी को भी इस बात की चिंता नहीं करनी चाहिए कि केंद्र सरकार के फैसले के बाद उनकी पहचान खत्म हो जायेगी. इस कदम का इस्तेमाल राज्य के भीतर अपनी भाषा, संस्कृति और पहचान को बढ़ावा देने के लिए किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि जिन स्थानीय जनजातियों का राजनीतिक प्रतिनिधित्व नहीं है, नयी प्रणाली में उन्हें वह मिलेगा.

मलिक ने कहा, कश्मीरी, डोगरी, गोजरी, पहाड़ी, बाल्टी, शीना और अन्य भाषाओं को नयी व्यवस्था में फलने-फूलने का मौका मिलेगा. विभिन्न जनजातियों और जातियों को, जिनका राज्य में राजनीतिक प्रतिनिधित्व नहीं था, उन्हें भी उचित प्रतिनिधित्व मिलेगा. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार कश्मीरी पंडितों की घाटी में सुरक्षित वापसी को लेकर प्रतिबद्ध है. राज्यपाल ने कहा, मेरा दृढ़ विश्वास है कि कश्मीरी प्रवासियों की घाटी में पूरी तरह से वापसी कश्मीर के नागरिक समाज सहित सभी पक्षकारों के सहयोग एवं साझेदारी से संभव है, जो सामाजिक और संस्कृतिक जुड़ाव साझा करते हैं. मलिक ने कहा कि सरकार की नीति आतंकवाद को कतई बर्दाश्त न करने की है और सशस्त्रों बलों की कार्रवाई से आतंकियों की हार निश्चित है. उन्होंने कहा कि आतंकवादी संगठनों में भर्ती और शुक्रवार की नमाज के बाद पत्थरबाजी की घटनाओं में कमी आयी है.

ध्वजारोहण समारोह के बाद मलिक ने अर्धसैनिक बलों और जम्मू-कश्मीर पुलिस की परेड का निरीक्षण किया. परेड का नेतृत्व एसएसपी मंजूर अहमद दलाल कर रहे थे. मुख्यधारा के प्रमुख नेता एहतियातन हिरासत में होने की वजह से स्वतंत्रता समारोह में शामिल नहीं हुए. हालांकि, दूसरी पंक्ति के भाजपा नेता राज्यपाल के भाषण के दौरान बैठे नजर आये. समारोह के लिए पूरे शहर में अभूतपूर्व सुरक्षा व्यवस्था की गयी थी. स्टेडियम की ओर जाने वाली सभी सड़कों को सील कर दिया गया था और विशेष पास धारकों को ही समारोह स्थल जाने की इजाजत दी जा रही थी. इस वर्ष, स्वतंत्रता दिवस परेड और सांस्कृतिक कार्यक्रम में किसी भी स्कूल के दल ने हिस्सा नहीं लिया. हालांकि, समारोह में शामिल कुछ उत्साहित लोगों ने ‘वंदे मातरम’ और ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाये.

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