चुनाव नहीं तो दिल्ली में किसकी बनेगी सरकार?
नयी दिल्ली: दिल्ली में अगले माह राष्ट्रपति शासन समाप्त हो रहा है. इससे पहले या तो कोई पार्टी दिल्ली में सरकार बनाये या वहां चुनाव हो. यहीं दो रास्ते सामने हैं. अभीतक चुनाव कराने के कोई संकेत तो नहीं मिल रहे हैं, लेकिन सरकार बनाने की कवायद तेज होते जा रही है. कभी केजरीवाल कहते […]
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नयी दिल्ली: दिल्ली में अगले माह राष्ट्रपति शासन समाप्त हो रहा है. इससे पहले या तो कोई पार्टी दिल्ली में सरकार बनाये या वहां चुनाव हो. यहीं दो रास्ते सामने हैं. अभीतक चुनाव कराने के कोई संकेत तो नहीं मिल रहे हैं, लेकिन सरकार बनाने की कवायद तेज होते जा रही है. कभी केजरीवाल कहते हैं कि भाजपा उनके विधायकों को खरीदना चाहती है. तो कभी भाजपा की ओर से आप के विधायकों के साथ आने का बयान दिया जा रहा है.
रविवार को दिल्ली के प्रदेश अध्यक्ष सतीश उपाध्याय गृहमंत्री राजनाथ से मिलने गये और बाद में कहा कि पार्टी चुनाव और सरकार बनाने दोनों के लिए तैयार है. अब अगर दिल्ली में भाजपा सरकार बनायेगी तो उसे किसका समर्थन चाहिए और किसका समर्थन मिलेगा. यह एक बडा सवाल है. आइये कुछ खास बातों पर नजर डालते हैं.
अभी का राजनीतिक आंकडा क्या कहता है
दिल्ली में पिछले विधानसभा चुनाव में दिल्ली की जनता ने किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं दिया था. उस समय अन्ना आंदोलन के बाद प्रकाश में आये अरविंद केजरीवाल के आप पार्टी ने भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर दिल्ली के सभी 70 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे. केन्द्र की कांग्रेस सरकार से खफा दिल्ली की जनता ने केजरीवाल के चुनावी वादों को पसंद किया और आप को 28 सीटें मिली. पूर्व में बहुमत में रही कांग्रेस की सरकार को जबरदस्त हार का सामना करना पडा.कांग्रेस को महत 8 सीटें मिली.
वहीं उसी समय मोदी को प्रधानमंत्री पद के लिये भाजपा प्रमोट कर चुकी थी. इसका असर दिखा और भाजपा गठबंधन को 70 में से 32 सीटें मिली. लेकिन किसी भी पार्टी के पास स्पष्ट बहुमत नहीं होने की स्थिति में सरकार बनाने का मौका किसी भी दल को नहीं मिला. उधर केजरीवाल ने घोषणा किया कि वे भाजपा या कांग्रेस के सहयोग से सरकार नहीं बनायेंग. बाद में उन्होंने बिना शर्त बाहर से समर्थन के कांग्रेस के प्रस्ताव को मान लिया और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनायी.
कैसे बनेगी सरकार
दिल्ली में कांग्रेस और आप के गठबंधन के सरकार में एक-दो माह में ही दरार नजर आने लगी. केजरीवाल के अटपटे बयान और अपनी ही सरकार के खिलाफ धरने पर बैठने के कारण सरकार से कांग्रेस ने समर्थन वापस ले लिया और सरकार गिर गयी. अब दिल्ली में दो टर्म का राष्ट्रपति शासन अगले ही माह समाप्त होने वाला है. इधर भाजपा के कुछ नेता दिल्ली में सरकार बनाने के लिए अपने पास पर्याप्त आकडे होने की बात कर रहे हैं
अब समीकरण देखा जाये तो कुल 70 में से भाजपा के पास 32, आप के 28, कांग्रेस के 8 और 2 अन्य विधायक हैं. हाल ही में केजरीवाल ने भाजपा पर आप के विधायकों को भडकानें और खरीदने का आरोप लगाया था. ऐसे में देखा जाये तो भाजपा को अगर अन्य विधायकों का समर्थन मिलता है तो भी पार्टी के पास 34 विधायक ही होंग. जबकि 70 विधानसभा क्षेत्र वाले दिल्ली में सरकार बनाने के लिए 36 विधायकों की आवश्यकता होगी.
भाजपा का कांग्रेस के साथ गठबंधन पर काफी संसय है. वहीं आप ने अपने एक विधायक विनोद कुमार बिन्नी को पार्टी से निकाल दिया है. अब बिन्नी अगर भाजपा के साथ आते हैं तब भी आंकडा 35 तक ही पहुंचता है.
आप पार्टी टूटेगी तभी संभव है सरकार गठन
भाजपा की सरकार दिल्ली में तभी बन पायेगी जब आप के 9 विधायक पार्टी छोडकर दूसरी पार्टी बना लें और भाजपा को समर्थन दें. आप के पास अभी 27 विधायक हैं. पहले आप के पास 28 विधायक थे लेकिन एक विधायक विनोद कुमार बिन्नी को पार्टी ने निकाल दिया और वे स्वतंत्र हो गयें. अब पार्टी के 27 विधायकों में से एक तिहाई यानी 9 विधायक को एक साथ पार्टी छोडनी होगी.
ऐसे में उन 9 विधायकों के समूह को एक अलग पार्टी का दर्जा मिल जायेगा और उनकी सदस्यता भी बनी रहेगी. तब एनडीए के 32 और ये 9 विधायक मिलकर सरकार बना सकते हैं. इनके मिलने से आंकडा हो जायेगा 41. अब देखना यह है कि केजरीवाल ने पहले भी भाजपा पर आप के विधायक को भडकानें का आरोप लगाया है.
एक आंकडा यह भी
आप के पास अभी 27 और कांग्रेस के पास 8 विधायक हैं. पिछली आप सरकार भी कांग्रेस के सहयोग से ही बनी थी. अब अगर केजरीवाल अपने बागी विधायक को संभालकर कांगेस के साथ अपने संबंध सुधार लेते हैं तो आप की सरकार बन जायेगी. लेकिन केजरीवाल ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वे भाजपा या कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करेंगे और चुनाव में जायेंगे. उनको अभी भी जनता पर पूरा भरोसा है और आप की जीत के प्रति वे आश्वस्त हैं.
रविवार को कांग्रेस विधायक आसिफ मोहम्मद ने कहा कि आप के नेता मनीष सिसोदिया ने उन्हें अपन सुसराल बुलाकर आप को समर्थन देने की बात कही. आसिफ ने कहा कि सिसोदिया ने कहा कि अगर केजरीवाल पर सहमती नहीं बन नही है तो वे मुख्यमंत्री बनने के लिए तैयार हैं. एक और कांग्रेसी नेता मतीन अख्तर ने भी सिसोदिया सके सरकार बनाने पर बातचीत होने की पुष्टि की है.