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नयी दिल्ली : शानदार शैक्षणिक योग्यता के साथ राजनीति के क्षेत्र में उतरे पीयूष गोयल ने मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में कई चुनौतीपूर्ण मंत्रालय संभालते हुए अपने बेहतरीन काम के दम पर अलग पहचान बनाई और राज्य मंत्री से कैबिनेट तक का सफर तय किया.
पीयूष गोयल ने गुरुवार को मोदी मंत्रिमंडल में दूसरी बार कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ ली. राज्यसभा सदस्य पीयूष गोयल ने रेल और कोयला समेत कई चुनौतीपूर्ण मंत्रालयों की कमान संभाली. शानदार शैक्षणिक रिकॉर्ड वाले गोयल राजनीति में आने से पहले सफल चार्टर्ड अकाउंटेंट और इन्वेस्टमेंट बैंकर भी रहे हैं. स्पष्ट और बिना किसी लाग लपेट के बात करने वाले गोयल ने राजनीति में आने के बाद खुद को सफल प्रशासक साबित किया.
54 बरस के गोयल ने एक बार भी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा है और वह दो बार राज्यसभा से सांसद रहे हैं. शांत रह कर अपना काम करने के लिए जाने जाने वाले गोयल ने मोदी सरकार में अहम जिम्मेदारियां निभाईं. जेटली ने जब बुधवार को स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किए जाने का आग्रह किया था, तो ऐसे में इन अटकलों को हवा मिली कि गोयल के शानदार रिकॉर्ड को देखते हुए उन्हें वित्त मंत्रालय सौंपा जा सकता है.
दरअसल गोयल ने जेटली की अनुपस्थिति में 14 मई 2018 से 22 अगस्त 2018 और 23 जनवरी 2019 से 14 फरवरी 2019 तक वित्त मंत्रालय की भी कमान संभाली थी और इस दौरान लोकलुभावन अंतरिम बजट भी पेश किया था. 13 जून 1964 को मुंबई में जन्मे पीयूष एक राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उनके पिता दिवंगत वेद प्रकाश गोयल भी अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में 2001 से 2003 तक केंद्रीय जहाजरानी मंत्री रहे.
इसके अलावा वह करीब दो दशक तक भाजपा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष भी रहे. पीयूष की मां चंद्रकांता गोयल मुंबई से तीन बार महाराष्ट्र विधानसभा में चुनी गईं. गोयल अपने पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए 1984 में भाजपा में शामिल हुए और उन्होंने भी पार्टी के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष की भूमिका निभाई.
उन्होंने भारतीय स्टेट बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा के बोर्ड में सरकारी उम्मीदवार के तौर पर भी सेवाएं दीं. भाजपा ने साल 2014 के चुनाव के दौरान गोयल को पार्टी के विज्ञापन और सोशल मीडिया प्रचार की जिम्मेदारी दी थी जिसे उन्होंने बखूबी निभाया. गोयल जुलाई 2010 में पहली बार और जुलाई 2016 में दूसरी बार राज्यसभा सांसद बने.
पीयूष गोयल ने वर्ष 2014 में मोदी सरकार बनने पर 2017 तक बिजली, कोयला, नव एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के तौर पर जिम्मेदारी निभाई. उन्होंने 2016 से 2017 तक खनन मंत्रालय भी संभाला. उनके कार्यकाल में भारत के ऊर्जा क्षेत्र में कई परिवर्तनकारी बदलाव हुए और देश के दूरस्थ इलाकों समेत करीब 18000 गांवों का त्वरित विद्युतीकरण किया गया और उन्होंने ‘उदय’ एवं ‘उजाला’ जैसी परियोजनाओं को लागू करने में अहम भूमिका निभाई.
उनकी उपलब्धियों में देश की ऊर्जा सुरक्षा में सुधार के लिए कोयले की कमी को दूर करना और कोयला आवंटन की पारदर्शी ई नीलामी कराना शामिल है. राज्य मंत्री के तौर पर पीयूष के बेहतरीन प्रदर्शन को देखते हुए पार्टी आलाकमान ने उन्हें प्रोन्नत करते हुए कैबिनेट मंत्री बनाया। उन्हें 2017 में रेल मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गयी.
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