इमरान खान ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, कहा- मुद्दों के सुलझाने के लिए वार्ता बहुत जरूरी

नयी दिल्ली:देश मे हो रहे लोकसभा चुनावों के बीच पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने कहा है कि भारत-पाक के बीच के सारे मामले केवल बाचचीत से ही सुलझाया जा सकता है.अप्रैलमाह के अंत में लिखे इस पत्र में पाक पीएम ने कश्मीर समस्या का हवाला […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 3, 2019 9:04 AM
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नयी दिल्ली:देश मे हो रहे लोकसभा चुनावों के बीच पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने कहा है कि भारत-पाक के बीच के सारे मामले केवल बाचचीत से ही सुलझाया जा सकता है.अप्रैलमाह के अंत में लिखे इस पत्र में पाक पीएम ने कश्मीर समस्या का हवाला देकर जिक्र किया है.

इमरान खान ने यह पत्र पीएम मोदी के उस संदेश के बाद लिखा है जब उन्होंने मार्च को पाकिस्तान नेशनल डे पर बधाई दी थी. पाक नेशनल डे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को शुभकामना संदेश भेजा था. यह जानकारी इमरान खान ने ट्वीट कर दी थी. इसमें उन्होंने कहा था कि पीएम मोदी ने पाकिस्तान की जनता को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि लोकतांत्रिक, शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण माहौल के लिए उप महाद्वीप के लोग एक साथ आएं, जहां हिंसा और आतंक के लिए कोई जगह ना हो.

हालिया लिखे पत्र में पाक पीएम ने पाकिस्तान के लिए कश्मीर समस्या का हल जरूरी बताया है लेकिन, इस पत्र में कहीं भी आतंकवाद के खात्मे या आतंक पर कोई बात नहीं की है. पत्र में उन्होंने केवल सारे मुद्दे का हल लिखा है.

इससे पहले सितंबर 2018 मे लिखे पत्र में पाक पीएम ने संयुक्त राष्ट्र में दोनों देशों के विदेश मंत्रालय के बीच द्वपक्षीय बातचीत की पेशकश की थी. इस पत्र में उन्होंने आतंकवाद के खात्मे को किए जाने वाले प्रयासों का जिक्र किया था. इस पत्र पर भारत सरकार ने बार्ता के लिए सहमती जतायी थी.


बता दें कि पाक पीएम इमरान खान ने यह कहकर खलबली मचा दी थी कि भारत-पाक शांति वार्ता के लिए यह जरूरी है कि भाजपा की सरकार बने , उसके बाद से भारत में नए तरह की चर्चा होने लगी थी. कई लोगों ने इस पर आपत्ति दर्ज की थी. पाकिस्तानी राजनयिक भी ऑफ द रिकार्ड यह कहते हैं कि दोनों देशों के बीच के विवाद को दक्षिणपंथ सरकार ही सुलझा सकती है. पाक पीएम के इस बयान के बाद सरकार को इस बात का डर था कि लोकसभा चुनाव में इसका खतरा हो सकता है.

यहां यह बता दें कि इसी वर्ष जून में किर्गिस्तान में एससीओ समिट होना है. यहां यह तय है कि भारत और पाकिस्तान के बीच आतंकवाद का मामला उछलेगा. इसमें यह महत्वपूर्ण है कि भारत में नई सरकार किस सरकार की बनेगी. नई सरकार के लिए यह भी देखना होगा कि मसूद अजहर पर यूएन के बैन के बाद पाकिस्तान का क्या रुख रहता है, वह किस तरह की कार्रवाई करता है? हाफिज सईद पर पहले ही बैन हो चुका है.

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