जम्मू-कश्मीर में लोकसभा चुनाव के साथ नहीं होगा विधानसभा चुनाव

नयी दिल्ली : मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने रविवार को कहा कि सुरक्षा कारणों के चलते जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ नहीं होगा. नेशनल कान्फ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की ओर से इसकी आलोचना की गयी. भाजपा और पीडीपी का गठबंधन पिछले वर्ष जून में टूटने के बाद जम्मू कश्मीर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 10, 2019 9:57 PM
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नयी दिल्ली : मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने रविवार को कहा कि सुरक्षा कारणों के चलते जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ नहीं होगा. नेशनल कान्फ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की ओर से इसकी आलोचना की गयी.

भाजपा और पीडीपी का गठबंधन पिछले वर्ष जून में टूटने के बाद जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन है. अरोड़ा ने कहा कि केंद्रीय बलों की उपलब्धता, अन्य साजोसामान की कमी और हाल की हिंसा की घटनाओं को देखते हुए चुनाव आयोग ने जम्मू कश्मीर में केवल लोकसभा चुनाव कराने का निर्णय किया है. यद्यपि चुनाव आयोग के निर्णय की नेशनल कान्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने आलोचना करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव 1996 के बाद पहली बार समय पर नहीं कराये जा रहे हैं. उन्होंने कई ट्वीट करके इस पर भी हैरानी जतायी कि लोकसभा और राज्यसभा के साथ ही सर्वदलीय बैठक में गृह मंत्री राजनाथ सिंह की ओर से दिये गये उस भरोसे का क्या हुआ कि राज्य में एकसाथ चुनाव कराने के लिए सभी बल मुहैया कराये जायेंगे.

उन्होंने ट्वीट किया, 1996 के बाद पहली बार जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव समय पर नहीं हो रहा है. इसे याद रखियेगा जब अगली बार आप प्रधानमंत्री मोदी की उनके मजबूत नेतृत्व के लिए प्रशंसा करें. अब्दुल्ला ने कहा, सबसे भीषण बाढ़ के बाद भी 2014 में लोकसभा चुनाव समय पर और विधानसभा चुनाव निर्धारित समय पर हुए थे. यह दिखाता है कि कितने खराब तरीके से भाजपा और पूर्ववर्ती भाजपा-पीडीपी ने जम्मू कश्मीर को संभाला. उन्होंने कहा, जम्मू-कश्मीर में चुनावों को अंतरराष्ट्रीय समुदाय का जितना ध्यान मिलता है, मैंने कभी सोचा नहीं था कि प्रधानमंत्री मोदी वैश्विक मंच पर अपनी विफलता को स्वीकार करेंगे, लेकिन हम सभी गलतियां करते हैं और वह मेरी गलती थी. मुफ्ती ने ट्वीट किया, जम्मू कश्मीर में केवल संसदीय चुनाव कराने का निर्णय भारत सरकार की गलत सोच की पुष्टि करता है.

लोगों को एक सरकार नहीं चुनने देना लोकतंत्र के विचार के खिलाफ है. इसके साथ ही यह गलत उद्देश्यों के तहत एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए लोगों के अधिकारों को कमतर करने के वास्ते समय हासिल करने का एक हथकंडा है. अब्दुल्ला ने ट्वीट किया, बालाकोट और उरी प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा को संभालने के प्रतीक नहीं हैं, जम्मू-कश्मीर है और देखिये वहां उन्होंने क्या गड़बड़ किया है. भारत विरोधी ताकतों के सामने समर्पण शर्म की बात है. अरोड़ा ने जम्मू-कश्मीर में चुनावी तैयारियों का जायजा लेने के लिए पिछले सप्ताह राज्य का दौरा किया था.

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