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आतंकियों ने जम्मू-कश्मीर में बदला विस्फोट का तरीका, आइइडी विस्फोट को रिमोट से दे रहे अंजाम

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सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट में खुलासा
नयी दिल्ली : जम्मू-कश्मीर में आइइडी विस्फोटों को अंजाम देने के लिए आतंकियों ने अपने तरीकों में बदलाव किया है. आतंकियों में बाइक और वाहनों की चोरी रोकने में उपयोग होने वाले रिमोट अलार्म या चाबियों के इस्तेमाल की प्रवृत्ति बढ़ी है. आशंका है कि हाल में पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हमले में इसी तरीके को अपनाया गया हो, जिसमें 40 जवान शहीद हो गये.
सुरक्षा एजेंसियों की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि विस्फोट को अंजाम देने के लिए आतंकियों ने रिमोट संचालित आइइडी विस्फोट के तरीकों को असरदार बनाने के लिए इसमें ‘अचानक बदलाव’ किया है.
इसके लिए वे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जैसे कि मोबाइल फोन, वॉकी-टॉकी सेट और दुपहिया या चारपहिया वाहनों की चोरी की वारदातों को रोकने में उपयोग होने वाले यंत्रों का इस्तेमाल कर आइइडी विस्फोट कर रहे हैं. ये इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बाजारों में बड़ी आसानी से उपलब्ध होते हैं और कश्मीर घाटी में मौजूद आतंकवादी, रिमोट संचालित आइइडी विस्फोटों को अंजाम देने के लिए इन उपकरणों का इस्तेमाल करते हैं.
इससे वे न सिर्फ सुरक्षा बलों के साथ आमने-सामने की मुठभेड़ से बचते हैं, बल्कि ऐसे हमलों में हताहतों की संख्या भी अधिक होती है. रिपोर्ट में आशंका जतायी गयी है कि अन्य राज्यों में नक्सली विस्फोट के लिए जिन उपकरणों का इस्तेमाल करते हैं, आशंका है कि जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा भी भविष्य में अपने मंसूबों को अंजाम देने के लिए चोरी की वारदात रोकने वाले उपकरणों का इस्तेमाल बढ़ सकता है. इसलिए जम्मू-कश्मीर में तैनात सुरक्षाकर्मियों को और सतर्कता बरतने की जरूरत है.
पुलवामा में इसी तकनीक का इस्तेमाल
पुलवामा हमले की जांच कर रहे जांचकर्ताओं ने आशंका जतायी है कि 14 फरवरी को हुए विस्फोट को जैश के एक आतंकी ने अंजाम दिया. इस विस्फोट को अंजाम देने के लिए आतंकी ने एक कार में आरडीएक्स मिश्रित विस्फोटक रखा था.
रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ समय पहले शोपियां जिले में सेना की 44 राष्ट्रीय राइफल्स के जवानों को निशाना बनाकर आइइडी विस्फोट किया गया था. इस विस्फोट को दुपहिया वाहनों को चलाने में इस्तेमाल होने वाली रिमोटयुक्त चाबी का इस्तेमाल किया गया था.
आइइडी विस्फोट में इन केमिकल का होता है इस्तेमाल
आरडीएक्स, पीईटीएन (पेंटाएरिथ्रिटोल टेट्रानाइट्रेट), टीएनटी (ट्राईनाईट्रोटॉल्यून) और व्यावसायिक विस्फोटक घोल और अमोनियम नाइट्रेट.
सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट में खुलासा
नयी दिल्ली : जम्मू-कश्मीर में आइइडी विस्फोटों को अंजाम देने के लिए आतंकियों ने अपने तरीकों में बदलाव किया है. आतंकियों में बाइक और वाहनों की चोरी रोकने में उपयोग होने वाले रिमोट अलार्म या चाबियों के इस्तेमाल की प्रवृत्ति बढ़ी है. आशंका है कि हाल में पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हमले में इसी तरीके को अपनाया गया हो, जिसमें 40 जवान शहीद हो गये.
सुरक्षा एजेंसियों की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि विस्फोट को अंजाम देने के लिए आतंकियों ने रिमोट संचालित आइइडी विस्फोट के तरीकों को असरदार बनाने के लिए इसमें ‘अचानक बदलाव’ किया है.
इसके लिए वे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जैसे कि मोबाइल फोन, वॉकी-टॉकी सेट और दुपहिया या चारपहिया वाहनों की चोरी की वारदातों को रोकने में उपयोग होने वाले यंत्रों का इस्तेमाल कर आइइडी विस्फोट कर रहे हैं. ये इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बाजारों में बड़ी आसानी से उपलब्ध होते हैं और कश्मीर घाटी में मौजूद आतंकवादी, रिमोट संचालित आइइडी विस्फोटों को अंजाम देने के लिए इन उपकरणों का इस्तेमाल करते हैं.
इससे वे न सिर्फ सुरक्षा बलों के साथ आमने-सामने की मुठभेड़ से बचते हैं, बल्कि ऐसे हमलों में हताहतों की संख्या भी अधिक होती है. रिपोर्ट में आशंका जतायी गयी है कि अन्य राज्यों में नक्सली विस्फोट के लिए जिन उपकरणों का इस्तेमाल करते हैं, आशंका है कि जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा भी भविष्य में अपने मंसूबों को अंजाम देने के लिए चोरी की वारदात रोकने वाले उपकरणों का इस्तेमाल बढ़ सकता है. इसलिए जम्मू-कश्मीर में तैनात सुरक्षाकर्मियों को और सतर्कता बरतने की जरूरत है.
पुलवामा में इसी तकनीक का इस्तेमाल
पुलवामा हमले की जांच कर रहे जांचकर्ताओं ने आशंका जतायी है कि 14 फरवरी को हुए विस्फोट को जैश के एक आतंकी ने अंजाम दिया. इस विस्फोट को अंजाम देने के लिए आतंकी ने एक कार में आरडीएक्स मिश्रित विस्फोटक रखा था.
रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ समय पहले शोपियां जिले में सेना की 44 राष्ट्रीय राइफल्स के जवानों को निशाना बनाकर आइइडी विस्फोट किया गया था. इस विस्फोट को दुपहिया वाहनों को चलाने में इस्तेमाल होने वाली रिमोटयुक्त चाबी का इस्तेमाल किया गया था.
आइइडी विस्फोट में इन केमिकल का होता है इस्तेमाल
आरडीएक्स, पीईटीएन (पेंटाएरिथ्रिटोल टेट्रानाइट्रेट), टीएनटी (ट्राईनाईट्रोटॉल्यून) और व्यावसायिक विस्फोटक घोल और अमोनियम नाइट्रेट.
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