अयोध्या मसले पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका, जावड़ेकर बोले – सरकार विवादित जमीन को नहीं छू रही

नयी दिल्ली : भाजपा ने अयोध्या में विवादास्पद राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद स्थल के पास अधिग्रहित की गयी 67 एकड़ जमीन मूल मालिकों को लौटाने की अनुमति मांगने के लिए केंद्र सरकार की ओर से उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर करने का बचाव करते हुए मंगलवार को कहा कि कहा कि केंद्र विवादित जमीन को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 29, 2019 6:15 PM
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नयी दिल्ली : भाजपा ने अयोध्या में विवादास्पद राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद स्थल के पास अधिग्रहित की गयी 67 एकड़ जमीन मूल मालिकों को लौटाने की अनुमति मांगने के लिए केंद्र सरकार की ओर से उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर करने का बचाव करते हुए मंगलवार को कहा कि कहा कि केंद्र विवादित जमीन को नहीं छू रही है.

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने संवाददाताओं से कहा कि यह राम जन्म भूमि न्यास के उपर है कि वह लौटायी गयी जमीन का क्या करती है, सरकार इसमें हस्तक्षेप नहीं करेगी. उल्लेखनीय है कि केंद्र ने अयोध्या में विवादास्पद राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद स्थल के पास अधिग्रहण की गयी 67 एकड़ जमीन को उसके मूल मालिकों को लौटाने की अनुमति मांगने के लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. सरकार द्वारा उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर करने के कुछ ही घंटे बाद जावड़ेकर ने संवाददाताओं से कहा, सरकार विवादित जमीन को नहीं छू रही है. जावड़ेकर ने याचिका को पूरी तरह संवैधानिक बताते हुए कहा कि कोर्ट ने ही यह कहा था कि सरकार को निर्णय करना है कि जो बाकी जमीन है उसका क्या किया जाये.

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राम जन्मभूमि न्यास ने 2003 में अपील की थी, लेकिन 10 साल कांग्रेस का राज था और उन्होंने इस पर कुछ नहीं किया. अब मोदी सरकार कर रही है. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इसमें चुनावी राजनीति की बात नहीं है. रोज सुनवाई होने को पहले प्राथमिकता में रखा गया था, लेकिन 5-6 महीने ऐसे ही निकल गये इसलिए सरकार ने यह पहल की है. उन्होंने कहा कि भाजपा का शुरू से मानना मंदिर वहीं बने. उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस हमेशा ही राम मंदिर निर्माण की प्रक्रिया को रोकने की कोशिश करती रही है. कांग्रेस के नेता कपिल सिब्बल का यह तर्क कि मामले की सुनवाई जुलाई 2019 के बाद हो, इससे साबित हो जाता है. जावड़ेकर ने कहा कि कांग्रेस तो राम को मानती ही नहीं है. राम सेतु पर तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने हलफनामा देकर काल्पनिक बताया था.

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