सुषमा से मिले चीनी विदेश मंत्री, सांस्कृतिक आदान-प्रदान समेत 10 स्तंभों पर बनी सहमति

नयी दिल्ली : संबंधों में सुधार की दिशा में एक और कदम आगे बढ़ाते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अपने चीनी समकक्ष मंत्री वांग यी के साथ शुक्रवार को नयी व्यवस्था के तहत व्यापक बातचीत की और दोनों देश सांस्कृतिक आदान-प्रदान एवं लोगों का लोगों से संपर्क बढ़ाने के लिए सहयोग के ’10 स्तंभों’ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 21, 2018 6:30 PM

नयी दिल्ली : संबंधों में सुधार की दिशा में एक और कदम आगे बढ़ाते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अपने चीनी समकक्ष मंत्री वांग यी के साथ शुक्रवार को नयी व्यवस्था के तहत व्यापक बातचीत की और दोनों देश सांस्कृतिक आदान-प्रदान एवं लोगों का लोगों से संपर्क बढ़ाने के लिए सहयोग के ’10 स्तंभों’ पर सहमत हो गये.

शुक्रवार की सुबह यहां पहुंचे वांग ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच वुहान शिखर सम्मेलन के दौरान तय किये गये ‘सांस्कृतिक आदान प्रदान और लोगों से लोगों के संपर्क बढ़ाने पर उच्च स्तरीय व्यवस्था’ के तहत सुषमा के साथ संपन्न उनकी बैठक बेहद सफल रही. तीसरे भारत-चीन उच्च स्तरीय मीडिया फोरम के उद्घाटन सत्र में वांग ने कहा, भारत और चीन के संबंध एक ऐतिहासिक चरण में पहुंच चुके हैं. बातचीत के बाद सुषमा ने कहा कि वांग के साथ हुई दो घंटे तक चली बातचीत के निष्कर्ष से वह संतुष्ट हैं. इस दौरान दोनों नेताओं के बीच लोगों का लोगों से संपर्क बढ़ाने तथा सांस्कृतिक आदान-प्रदान को और गति देने के बारे में चर्चा हुई.

विदेश मंत्री ने कहा कि भारत और चीन सांस्कृतिक आदान-प्रदान एवं लोगों का लोगों से संपर्क बढ़ाने के लिए सहयोग के ’10 स्तंभों’ पर सहमत हुए हैं. इन 10 स्तंभों में सांस्कृतिक आदान-प्रदान, फिल्म और टीवी के क्षेत्र में सहयोग, संग्रहालय प्रशासन में सहयोग, खेल के क्षेत्र में सहयोग, युवाओं के बीच आदान-प्रदान, पर्यटन पर सहयोग, राज्यों और शहरों के बीच आदान-प्रदान, पारंपरिक चिकित्सा में सहयोग, योग में सहयोग और शिक्षा में सहयोग शामिल है. सुषमा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुए वुहान शिखर सम्मेलन के बाद द्विपक्षीय सहयोग में महत्वपूर्ण सुधार आया है. उन्होंने कहा कि दोनों देशों की सेनाएं भी सहयोग बढ़ा रही हैं. वांग ने भारत-चीन संबंधों के इतिहास में सांस्कृतिक आदान-प्रदान और जनता के बीच सरोकार को एक महत्वपूर्ण पहल करार दिया है.

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