‘राज्यों के पास फ्रीबीज के लिए धन हैं, जजों की सैलरी-पेंशन के लिए नहीं’, सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
नयी दिल्ली : सिख विरोधी दंगा मामले में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार की दोषसिद्धि को कांग्रेस के लिए नैतिक हार बताते हुए दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ और पार्टी नेता जगदीश टाइटलर को कांग्रेस से निष्कासित करने की मांग की. वहीं, दिल्ली भाजपा के कार्यकर्ताओं ने कमलनाथ को मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने के कांग्रेस के निर्णय के खिलाफ कांग्रेस मुख्यालय के निकट प्रदर्शन किया.
दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को 1984 सिख विरोधी दंगों से संबंधित एक मामले में दोषी ठहराते हुए उम्र कैद की सजा सुनायी. डीएसजीएमसी के अध्यक्ष मंजीत सिंह ने कांग्रेस पर सज्जन कुमार को राजनीतिक संरक्षण देने का आरोप लगाया. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, हम कुमार और अन्य आरोपियों के लिए मौत की सजा की मांग करते हैं. कांग्रेस सरकार ने कुमार को संरक्षण दिया. मैं सीबीआई अधिकारियों को धन्यवाद देता हूं जिन्होंने तमाम प्रलोभन और धमकियों को नजरंदाज कर आरोपियों को न्याय के कटघरे तक पहुंचाया. मैं पीड़ितों के रिश्तेदारों का भी शुक्रिया अदा करता हूं जो तमाम विषमता से लड़े और न्याय के लिए अपना संघर्ष जारी रखा. सिंह ने कहा कि कुमार की दोषसिद्धि कांग्रेस के लिए नैतिक हार है. डीएसजीएमसी अध्यक्ष ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि कमलनाथ और जगदीश टाइटलर को न्याय के कटघरे तक लाया जायेगा. डीएसजीएमसी प्रमुख ने मांग की कि राहुल गांधी को कुमार, कमलनाथ और टाइटलर को कांग्रेस से निष्कासित करना चाहिए.
उधर, दंगे के पीड़ित और उनके परिवार के सदस्यों सहित कई प्रदर्शनकारियों ने ताज मानसिंह होटल से अकबर रोड स्थित कांग्रेस मुख्यालय की तरफ मार्च करने की कोशिश की, लेकिन पुलिसकर्मियों ने उन्हें रोक दिया. प्रदर्शनकारी कांग्रेस और उनके नेताओं के खिलाफ नारे लगाते हुए कमलनाथ को हटाकर किसी और को मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री नामित करने की मांग कर रहे थे. प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे दिल्ली भाजपा के उपाध्यक्ष राजीव बब्बर ने आरोप लगाया, कमलनाथ के खिलाफ सिख विरोधी दंगों में शामिल होने के सबूत हैं. इसके बाद भी कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी ने उन्हें मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया, जिससे पीड़ितों और उनके परिवारों के जख्म हरे हो गये. प्रदर्शनकारियों ने इस दौरान कमलनाथ का पुतला भी फूंका.
भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाने के कांग्रेस के फैसले पर सवाल उठाया, तो कांग्रेस की तरफ से दिग्विजय सिंह ने मोर्चा संभाला. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि जेटली जी आपसे यह उम्मीद नहीं थी. उधर, शिरोमणि अकाली दल ने भी कांग्रेस पर निशाना साधा. केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि सोमवार को सज्जन कुमार पर फैसला आया, आगे जगदीश टाइटलर, कमलनाथ और गांधी परिवार की बारी है. उन्होंने कहा कि मैं प्रधानमंत्री मोदी को शुक्रिया अदा करना चाहती हूं कि उन्होंने 2015 में शिरोमणि अकाली दल के अनुरोधर पर 1984 नरसंहार की जांच के लिए एसआइटी का गठन किया.
जेटली ने पत्रकारों से कहा, यह विडंबना है कि फैसला उस दिन आया है जब सिख समाज जिस दूसरे नेता को दोषी मानता है, कांग्रेस उसे मुख्यमंत्री की शपथ दिला रही है. इस पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने जेटली पर पलटवार किया. उन्होंने ट्वीट कर कहा, अरुण जेटलीजी आपसे यह उम्मीद नहीं थी. कमलनाथजी पर ना तो इस प्रकरण में कोई एफआईआर है ना चार्जशीट है और ना किसी अदालत में कोई प्रकरण है. 91 से केंद्र में मंत्री रहे तब आपको कोई आपत्ति नहीं थी, अब आपको क्या हो गया? जेटली ने आगे कहा कि सज्जन कुमार सिख दंगों का प्रतीक बन चुके थे. इसके बाद भी कांग्रेस ने अपने नेताओं को बचाने का पूरा प्रयास किया. उन्होंने कहा कि दो बार पहले वाजपेयी और फिर मोदी सरकार में निष्पक्षता से जांच हुई और अब जाकर सजा मिलनी शुरू हुई है. जेटली ने कहा कि 84 दंगों का फैसला भले ही विलंब से आया हो पर न्याय मिलना शुरू हो गया है.