CBI अधिकारी का आराेप – जांच में डोभाल और केंद्रीय मंत्री ने किया था हस्तक्षेप

नयी दिल्ली : सीबीआई को लेकर चल रहा विवाद सोमवार को वरिष्ठ अधिकारी एमके सिन्हा द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल तथा केंद्रीय मंत्री हरिभाई पी चौधरी और केंद्रीय सतर्कता आयुक्त केवी चौधरी का नाम लिये जाने के बाद और गहरा गया. सिन्हा ने इन पर सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ जांच […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 19, 2018 10:14 PM

नयी दिल्ली : सीबीआई को लेकर चल रहा विवाद सोमवार को वरिष्ठ अधिकारी एमके सिन्हा द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल तथा केंद्रीय मंत्री हरिभाई पी चौधरी और केंद्रीय सतर्कता आयुक्त केवी चौधरी का नाम लिये जाने के बाद और गहरा गया.

सिन्हा ने इन पर सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ जांच में कथित हस्तक्षेप के प्रयास करने के आरोप लगाये. इस बारे में प्रतिक्रिया मांगे जाने पर वीके चौधरी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. प्रतिक्रिया देने के लिए डोभाल से संपर्क नहीं हो पाया. मंत्री के कार्यालय के एक अधिकारी ने कहा कि वह इस मामले से अवगत नहीं हैं. सिन्हा, अस्थाना के खिलाफ प्राथमिकी की जांच कर रहे हैं. उन्होंने उच्चतम न्यायालय में दाखिल अपनी याचिका में कई संवेदनशील आरोप लगाये. याचिका में उनका तबादला नागपुर किये जाने के आदेश को खारिज करने के बारे में तुरंत सुनवाई करने की बात कही गयी है. सिन्हा की ओर से पेश हुए वकील सुनील फर्नांडिस ने प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली एक पीठ से कहा कि उनके मुवक्किल ने याचिका में स्तब्ध करने वाले कुछ खुलासे किये हैं. उन्होंने अनुरोध किया कि मंगलवार को सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के अनुरोध के साथ उनकी याचिका को भी सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाये. पीठ में न्यायमूर्ति एसके कौल एवं न्यायमूर्ति के एम जोसेफ भी शामिल हैं.

सिन्हा के वकील के इस अनुरोध पर पीठ ने कहा, हम किसी भी चीज से स्तब्ध नहीं होते. पीठ ने वकील से कहा कि जब वर्मा की याचिका पर सुनवाई हो तो वह न्यायालय में उपस्थित रहें. वर्मा ने अपनी याचिका में उनके अधिकार छीने जाने और उन्हें अवकाश पर भेजने के आदेश को चुनौती दी है. सिन्हा ने दावा किया कि नागपुर में उनका तबादला करने से उन्हें अस्थाना के खिलाफ प्राथमिकी की जांच करने वाले दल से अलग कर दिया गया है. उन्होंने आरोप लगाया, यह स्थानांतरण मनमाना, प्रेरित और दुर्भावनापूर्ण है. इसका एकमात्र उद्देश्य अधिकारियों को शिकार बनाना है क्योंकि जांच से चंद ताकतवर लोगों के विरुद्ध पुख्ता सबूत मिले हैं. आंध्र प्रदेश काडर के 2000 बैच के आईपीएस अधिकारी सिन्हा ने अपनी 34 पृष्ठों की याचिका में आरोप लगाया कि सीबीआई निदेशक ने अस्थाना के खिलाफ मामला दर्ज किये जाने के बारे में डोभाल को 17 अक्तूबर को जानकारी दी थी.

याचिका में कहा गया, बाद में उसी रात को यह सूचित किया गया कि एनएसए ने राकेश अस्थाना को प्राथिमकी दर्ज होने के बारे में जानकारी दी. यह सूचित किया गया कि राकेश अस्थाना ने एनएसए से कथित तौर पर यह अनुरोध किया था कि उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाये. पुलिस उपाधीक्षक एके बस्सी के शपथपत्र का समर्थन करते हुए सिन्हा ने दावा किया कि बस्सी ने रिश्वत मामले (अस्थाना से संबंधित) में जन सेवकों पर तुरंत छापे मारे जाने का समर्थन किया था. किंतु सीबीआई के निदेशक ने तुरंत अनुमति नहीं दी और कहा कि एनएसए ने इसके लिए अनुमति नहीं दी. उल्लेखनीय है कि बस्सी को अंडमान एवं निकोबार स्थानांतरित कर दिया गया है. सीबीआई ने मांस निर्यातक मोइन कुरैशी से संबंधित एक मामले की जांच के दौरान आरोपी मनोज प्रसाद से कथित रूप से रिश्वत लेने के आरोप में अस्थाना के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी.

सिन्हा ने कहा कि बिचौलिये मनोज प्रसाद से पूछताछ के दौरान डोभाल तथा भारत की खुफिया एजेंसी राॅ के विशेष निदेशक एसके गोयल का नाम सामने आया. सिन्हा ने कहा, मनोज प्रसाद के अनुसार, उसके पिता दिनेश्वर संयुक्त सचिव के तौर पर सेवानिवृत्त हुए थे और उनकी डोभाल से अच्छी पहचान थी. सीबीआई मुख्यालय लाने पर मनोज ने सबसे पहले यही दावा किया था. उसने इस बात पर आश्चर्य और क्रोध जताया कि उसे सीबीआई कैसे पकड़ सकती है, जबकि डोभाल से उसके करीबी संबंध हैं. उन्होंने कहा कि मनोज ने सीबीआई अधिकारियों पर तंज कसा और उनसे सीमाओं में रहने को कहा. सिन्हा ने कहा कि 20 अक्तूबर को सीबीआई के डीएसपी देवेंद्र कुमार के कार्यालय एवं आवास पर छापे मारे गये. कुमार, मोइन कुरैशी मामले की जांच कर रहे थे. इस छापे को मारने का कारण कुछ सूचनाएं थीं जो कानूनी रूप से बातचीत के बाद विशेष इकाई ने उपलब्ध करायी थी.

उन्होंने आरोप लगाया, जब छापे मारे जा रहे थे तो सीबीआई निदेशक का एक काल आया जिसमें छापे बंद कर देने का निर्देश दिया गया. उस समय आवेदक (सिन्हा) बीएसएफ एंड सी कार्यालय में बैठे हुए थे और उन्होंने निदेशक से पूछा. निदेशक का उत्तर था कि यह निर्देश एनएसए डोभाल की ओर से आया है. सिन्हा ने अपनी याचिका में यह भी आरोप लगाया कि हैदराबाद के व्यापारी सतीश बाबू सना ने पूछताछ के दौरान बताया कि जून 2018 के पहले पखवाड़े में किसी समय केंद्रीय मंत्री हरिभाई पी चौधरी को कुछ करोड़ रुपये दिये गये थे. चौधरी वर्तमान में कोयला राज्य मंत्री हैं. सना, अस्थाना के खिलाफ मामले का शिकायतकर्ता है. उन्होंने याचिका में कहा, सना के अनुसार, हरिभाई ने कार्मिक मंत्रालय के जरिये सीबीआई के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच हस्तक्षेप किया प्रतीत होता है कि उन्हें सीबीआई निदेशक सूचना देते हैं. सिन्हा ने कहा, धन अहमदाबाद के विपुल के माध्यम से दिया गया. सना ने यह तथ्य मुझे 20 अक्तूबर को पूर्वाह्न में बताये थे. सिन्हा वर्तमान में नागपुर में सीबीआई की अपराध निरोधक शाखा के उप महानिरीक्षक हैं.

उन्होंने दावा किया कि सना ने उन्हें बताया कि वह केंद्रीय सतर्कता आयुक्त केवी चौधरी से दिल्ली में जी रमेश के साथ कभी मिला था और मोइन कुरैशी मामले को लेकर बातचीत की थी. उन्होंने कहा, सना के अनुसार, बाद में चौधरी ने अस्थाना को अपने आवास पर बुलाया और उनसे कुछ पूछा. अस्थाना ने सीवीसी को जानकारी दी कि उनके खिलाफ अधिक साक्ष्य नहीं है. इसमें कुछ भी गैरकानूनी नहीं है, किंतु पूर्णता के लिहाज से इसे रिकाॅर्ड में रखा गया है. कोई भी पुष्टि नहीं की गयी और यह सना के खुलासे के आधार पर किया गया है. सिन्हा ने यह भी आरोप लगाया कि केंद्रीय विधि सचिव सुरेश चंद्र ने सना से तब संपर्क किया था जब आलोक वर्मा के खिलाफ सीवीसी की कार्रवाई चल रही थी. चंद्र ने आरोपों को झूठा बताते हुए खारिज कर दिया है.

सिन्हा ने यह भी आरोप लगाया कि केंद्रीय विधि सचिव सुरेश चंद्र ने बिचौलिये सना को यह संदेश भिजवाया था कि उसे सरकार की ओर से पूर्ण संरक्षण मिलेगा. उन्होंने आरोप लगाया कि सना ने चंद्र से लंदन में संपर्क किया था. विधि सचिव ने उन्हें कैबिनेट सचिव पीके सिन्हा का यह संदेश दिया कि सरकार सना को सीबीआई मामलों से पूरी तरह संरक्षण देने की इच्छुक है. चंद्र ने संपर्क करने पर कहा, वास्तव में, यदि आप देखें तो मैंने कैबिनेट सचिव से बातचीत नहीं की और ना ही कोई निर्देश लिया. यह तो पहली बात. दूसरी बात मैं लंदन नहीं गया था. तीसरी, मैं इनमें से किसी को नहीं जानता, बिल्कुल भी नहीं. और यहां मेरे द्वारा संदेश लेने का कोई प्रश्न ही नहीं है. यह सब फर्जी है. यदि कोई अन्य सुरेश चंद्र है तो मैं नहीं जानता.

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