खुशखबरी, इलाहाबाद के कुंभ मेले में Hybrid Aeroboat चलायेगी सरकार!

नयी दिल्ली : अगले साल करीब 15 जनवरी से शुरू होने वाले कुंभ के मेले में सरकार भारत-रूस की ओर संयुक्त रूप से तैयार हाइब्रिड एयरोबोट का इस्तेमाल किया जा सकता है. बताया जा रहा है कि आगरा, इलाहाबाद और कुछ अन्य स्थानों पर पानी, दलदली भूमि और बर्फ पर चलने वाले हाइब्रिड एयरोबोट का […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 29, 2018 8:14 PM
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नयी दिल्ली : अगले साल करीब 15 जनवरी से शुरू होने वाले कुंभ के मेले में सरकार भारत-रूस की ओर संयुक्त रूप से तैयार हाइब्रिड एयरोबोट का इस्तेमाल किया जा सकता है. बताया जा रहा है कि आगरा, इलाहाबाद और कुछ अन्य स्थानों पर पानी, दलदली भूमि और बर्फ पर चलने वाले हाइब्रिड एयरोबोट का उपयोग जल्दी ही अंतरदेशीय जल परिवहन के लिए किया जा सकता है.

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आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी. अल्यूमीनियम के एयरोबोट बनाने वाली रूस की कुछ प्रमुख कंपनियों ने गैर-लाभकारी संस्थान स्कोलकोव फाउंडेशन के अंतर्गत कुछ प्रमुख रूसी कंपनियों ने इस बारे में पोत परिवहन, जल संसाधन, गंगा संरक्षण, नदी विकास एवं सड़क परिवहन तथा राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के समक्ष सोमवार को अपनी बातें रखी.

आधिकारिक सूत्र ने कहा कि भारत अंतरदेशीय जलमार्ग को गति देने के साथ-साथ इलाहाबाद में होने वाले कुंभ तथा आगरा में इसके उपयोग को लेकर गंभीर है. इस प्रकार के एयरोबोट को बनाने वाली कंपनी से इसका प्रदर्शन जल्द करने को कहा गया है, जो संभवत: वाराणसी में ‘मल्टी-मॉडल टर्मिनल’ के उद्घाटन के समय किया जा सकता है. सूत्र ने कहा कि हालांकि, इन नौकाओं (हाइब्रिड) का विनिर्माण सेंट पीट्सबर्ग में होता है, लेकिन इसमें टोयोटा के इंजन के उपयोग से कल-पुर्जों को लेकर कोई समस्या नहीं है.

एक अन्य सूत्र ने कहा कि कंपनी अंतरदेशीय जलमार्ग के लिए छोटे-छोटे आकार की नौका बनाती है. ये नौकाएं पानी के अलावा, दलदली जमीन के साथ बर्फ भी चल सकती हैं. ये पेट्रोल, बिजली, मेथनॉल जैसे ईंधन से चल सकती हैं. इसकी अधिगतम गति करीब 170 किलोमीटर प्रतिघंटा होती है, जो सामान्य नौका से करीब तीन गुनी अधिक है. नौकाओं को अल्यूमीनियम से बनाया जाता है. इसे एसेंबल करने में 15 मिनट लगता है. इसमें एक बार में 11 लोग यात्रा कर सकते हैं.

कंपनी के पास बड़ी नौकाएं भी हैं, जिसमें 60 लोग बैठ सकते हैं. यह अधिकतम तीन मीटर ऊपर चल सकती है, ताकि यह नागर विमानन नियमन के दायरे से बाहर हो. स्कोलकोव फाउडेंशन रूसी स्कोलकोव इनोवेशन सेंटर चलाता है, जो एक वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी केंद्र है. इस केंद्र का उद्देश्य अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के विकास तथा व्यवसायीकरण को बढ़ावा देना है.

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