निलक्कल (केरल) : सबरीमाला मंदिर आज से मासिक पूजा के लिए खुल रहा है. सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद आज से यहां हर आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश दिया जायेगा लेकिन कोर्ट के इस निर्णय का यहां विरोध हो रहा है, जिसके कारण यहां तनाव की स्थिति बन गयी है और उग्र प्रदर्शनकारियोंपर पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा है. उग्र भीड़ ने मंदिर के पास एक महिला पत्रकार की गाड़ी पर हमला बोल दिया. इंडिया टुडे की एक महिला पत्रकार मौसमी सिंह ने भी बताया कि प्रदर्शनकारी मीडिया पर हमला बोल रहे हैं. ये महिला पत्रकार पुलिस की गाड़ी में शरण ली हुई थीं. एक प्रदर्शनकारी राहुल ईश्वर को पुलिस ने गिरफ्तार किया है, लेकिन उसका कहना है कि उसने किसी महिला को चोट नहींपहुंचायी है, उनके खिलाफ साजिश की जा रही है.
गौरतलब है कि मंदिर के आसपास की पहाड़ियों पर रहने वाले आदिवासियों ने आज आरोप लगाया है कि सरकार और त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड (टीडीबी) प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देकर सदियों पुरानी प्रथा को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं.
#WATCH: Police lathi-charge and pelt stones at the protesters gathered at Nilakkal base camp, in Kerala. #SabarimalaTemple pic.twitter.com/DMC1ePz0l2
— ANI (@ANI) October 17, 2018
#WATCH: India Today journalist Mausami Singh and its crew in a police vehicle. They were attacked by the protesters at Nilakkal base camp. #SabarimalaTemple #Kerala pic.twitter.com/R7rsSBK8fx
— ANI (@ANI) October 17, 2018
Nilakkal: A woman Madhavi on her way to #SabarimalaTemple returned mid-way along with her relatives after facing protests. #Kerala pic.twitter.com/OUCbOqa1aO
— ANI (@ANI) October 17, 2018
उन्होंने दावा किया कि रजस्वला लड़कियों और महिलाओं पर लगी बंदिशें केरल के जंगलों में रहने वाले आदिवासी समाजों के रीति-रिवाज का हिस्सा हैं. आदिवासियों ने यह भी कहा कि सबरीमाला मंदिर और इससे जुड़ी जगहों पर जनजातीय समुदायों के कई अधिकार सरकारी अधिकारियों और मंदिर का प्रबंधन करने वाले टीडीबी के अधिकारियों द्वारा छीने जा रहे हैं.
वहीं सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला में मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की अनुमति दी थी तो लोग उसकी प्रशंसा कर रहे थे अब सड़कों पर उतर आये हैं और कह रहे हैं कि यह हमारी परंपरा है. फिर तो ट्रिपल तलाक भी परंपरा है. यह लड़ाई रुढ़िवादी व्यवस्था और प्रगतिशील सोच के बीच है. जब प्रगतिशील सोच यह कहता है कि सारे हिंदू एक हैं, तो फिर जाति व्यवस्था कहां है? कौन कहता है कि जाति का निर्धारण सिर्फ जन्म से होता है. शास्त्रों में संशोधन किया जा सकता है.
#WATCH: Women protest in Nilakkal against the entry of women in the age group of 10-50 to #Sabarimala temple. #Kerala pic.twitter.com/GuxDZo0R7G
— ANI (@ANI) October 17, 2018
इधर सबरीमाला मंदिर में पूजा के लिए जा रही एक महिला को विरोध प्रदर्शन के बाद वापस लौटना पड़ा है. अट्टाथोडू इलाके में आदिवासियों के मुखिया वी के नारायणन (70) ने कहा, ‘‘देवस्वोम बोर्ड ने सबरीमाला के आसपास की विभिन्न पहाड़ियों में स्थित आदिवासी देवस्थानों पर भी नियंत्रण कर लिया है.’ उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारी मंदिर से जुड़े सदियों पुराने जनजातीय रीति-रिवाजों को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं. नारायणन ने कहा, ‘‘मेरी त्वचा को देखिए. हम आदिवासी हैं. जिन संस्थाओं पर हमारे रीति-रिवाजों के संरक्षण की जिम्मेदारी है, वही उन्हें खत्म कर रहे हैं.’ यहां आदिवासियों के मुखिया को ‘मूप्पेन’ कहा जाता है.
It's a fight b/w Hindu Renaissance&Obscurantism.Renaissance says all Hindus are equal& caste system should be abolished. Because no Brahman today is only intellectual, they're in cinema,business as well. Where is it written that caste is from birth?Shastras can be amended:S Swamy pic.twitter.com/ZOZaMdXVAJ
— ANI (@ANI) October 17, 2018
उन्होंने कहा कि रजस्वला लड़कियों और महिलाओं को अशुद्ध मानना एक द्रविड़ियन रिवाज है और आदिवासी लोगों द्वारा प्रकृति की पूजा से जुड़ा है. सबरीमला आचार संरक्षण समिति के प्रदर्शन में हिस्सा ले रहे नारायणन ने कहा, ‘भगवान अयप्पा हमारे भगवान हैं. किसी खास आयु वर्ग की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश पर लगा प्रतिबंध हमारे रीति-रिवाज का हिस्सा है. घने जंगलों में स्थित भगवान अयप्पा के मंदिर में पूजा करने के लिए रीति-रिवाजों का पालन करना बहुत जरूरी है. इसका उल्लंघन नहीं होना चाहिए. अशुद्ध महिलाओं को सबरीमला मंदिर में प्रवेश की इजाजत नहीं देनी चाहिए.’