कमलनाथ और सचिन पायलट को लगा करारा झटका, सुप्रीम कोर्ट से वोटिंग लिस्ट वाली याचिका खारिज
नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश और राजस्थान में खोज सकने योग्य प्रारूप (सर्चेबल फारमैट) में मतदाता सूची का मसौदा उपलब्ध कराने के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमल नाथ और सचिन पायलट की याचिकाएं शुक्रवार को खारिज कर दीं. इन दोनों राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. शीर्ष अदालत ने कहा […]
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नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश और राजस्थान में खोज सकने योग्य प्रारूप (सर्चेबल फारमैट) में मतदाता सूची का मसौदा उपलब्ध कराने के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमल नाथ और सचिन पायलट की याचिकाएं शुक्रवार को खारिज कर दीं. इन दोनों राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. शीर्ष अदालत ने कहा कि यह फैसला लेना निर्वाचन आयोग का काम है कि मतदाता सूची के मसौदे को किस प्रारूप में प्रकाशित किया जाये.
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कमल नाथ और पायलट ने अपनी याचिकाओं ने अनुरोध किया था कि निर्वाचन आयोग को मतदाता सूची का मसौदा खोज सकने योग्य प्रारूप में प्रकाशित करने और राजनीतिक दलों को उसी स्वरूप में इनकी प्रति उपलब्ध कराने का निर्देश दिया जाये. इनका कहना था कि निष्पक्ष और सही मतदाता सूची सुनिश्चित करने और फर्जी तथा गलत मतदाताओं को इससे बाहर करने के लिए यह आवश्यक है.
न्यायमूर्ति एके सीकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने कहा कि चुनाव मैनुअल के उपबंध 11.2.2.2 में ‘टेक्स्ट मोड’ शब्द का इस्तेमाल हुआ है और इसी स्वरूप में मतदाता सूची का मसौदा याचिकाकर्ता (कमल नाथ) को दिया गया है. पीठ ने कहा कि इस उपबंध में कहीं भी यह नहीं कहा गया है कि मतदाता सूची का मसौदा मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर खोजने योग्य पीडीएफ स्वरूप में होगा. इसलिए याचिकाकर्ता अधिकार के रूप में इसका दावा नहीं कर सकता कि मतदाता सूची का मसौदा खोजे जाने योग्य प्रारूप में वेबसाइट पर डाला जाना चाहिए. यह सिफ टेक्स्ट मोड में होना है और यही उपलब्ध कराया गया है.
अदालत ने कहा कि आयोग ने मतदाताओं की निजता और आंकड़ों के साथ छेड़छाड़ की रोकथाम जैसी वजहों से ही मतदाता सूची का मसौदा खोजने योग्य पीडीएफ प्रारूप में उपलब्ध कराने का कमल नाथ का अनुरोध स्वीकार नहीं करने के बारे मे बताया भी है. शीर्ष अदालत ने कहा कि निर्वाचन आयोग के अनुसार स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिये भी मतदाताओं की निजता की रक्षा करना और उन्हें छेड़छाड़ से संरक्षण प्रदान करना भी आयोग का कर्तव्य है. इसलिए आयोग को सभी आवश्यक कदम उठाने हैं.