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IPPB के उद्घाटन में पीएम ने साधा निशाना, इकोनॉमी को लैंड माइंस पर बैठाकर चली गयी यूपीए सरकार

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नयी दिल्ली : इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (आईपीपीबी) के उद्घाटन समारोह में शनिवार को प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि लोन डिफॉल्टर्स से सरकार एक-एक पैसा वसूल रही है. उन्होंने गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) की समस्या के लिए यूपीए सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि ‘नामदारों’ ने फोन बैंकिंग के जरिये महज छह साल में लाखों […]

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नयी दिल्ली : इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (आईपीपीबी) के उद्घाटन समारोह में शनिवार को प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि लोन डिफॉल्टर्स से सरकार एक-एक पैसा वसूल रही है. उन्होंने गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) की समस्या के लिए यूपीए सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि ‘नामदारों’ ने फोन बैंकिंग के जरिये महज छह साल में लाखों करोड़ रुपये कुछ बड़े लोगों को बांट दिये. उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार देश की अर्थव्यवस्था को लैंड माइन्स पर बैठाकर चली गयी.

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इसे भी पढ़ें : इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक का उदघाटन आज

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आजादी के बाद से 2008 तक हमारे देश के सभी बैंकों ने कुल मिलाकर 18 लाख करोड़ रुपये की राशि ही लोन के तौर पर दी थी, लेकिन 2008 के बाद सिर्फ छह साल में यह राशि बढ़कर 52 लाख करोड़ रुपये हो गयी, ले जाओ, बाद में मोदी आयेगा रोयेगा, ले जाओ. यानी जितना लोन बैंकों ने आजादी के बाद दिया था, उसका दोगुना लोन पिछली सरकार के 6 साल में दिया.

यूपीए शासनकाल में शुरू की गयी थी फोन बैंकिंग की पंरपरा

प्रधानमंत्री ने कहा कि ये लोन कैसे दिया जाता था? तेरा भी भला,मेरा भी भला. उस समय एक परंपरा फोन बैंकिंग आयी थी. नामदार यदि फोन कर दे, तो लोन मिल ही जाता था. जिस भी धन्नासेठ को लोन चाहिए था, वह नामदारों से बैंकों में फोन करवा देता था. बैंक वाले फिर उसे अरबों का लोन दे देते थे. नामदारों का फोन सारे कानून से ऊपर था. सवाल उठता है कि बैंकों ने मना क्यों नहीं किया? क्योंकि नामदारों के द्वारा ही अधिकारी नियुक्त होते थे. जब ये लोग कर्ज नहीं चुकाने लगे, तो भी बैंकों को फोन आने लगे कि उन्हें फिर लोन दीजिए. एक लोन लेकर दूसरा लोन चुकाने लगे. जो लोग इस गोरखधंधे में थे, उन्हें पता था कि पोल जरूर खुलेगी.

फंसे पैसे को देश से छुपाने की रची गयी साजिश

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कर्ज फंसे पैसे को छुपाने के लिए एक और साजिश रची गयी. देश को कहा गया कि सिर्फ 2 लाख करोड़ रुपये फंसे हैं. 2014 में जब हमारी सरकार बनी, तो बैंकों को सही हिसाब देने को कहा गया. तब पता चला कि 9 लाख करोड़ रुपये फंसे हुए हैं. ब्याज जुड़ने की वजह से यह राशि बढ़ती जा रही है. 2014 में सरकार बनने के कुछ समय बाद ही हमें अहसास हो गया था कि ये नामदार देश को ऐसी लैंडमाइन पर बिठाकर गया है, उस समय देश को बताया जाता, तो विस्फोट हो जाता. हमने एहतियात के साथ देश को संभाला.

एनपीए की बीमारी का इलाज के लिए उठाये कई कदम

उन्होंने एनपीए समस्या से निपटने को लेकर कहा कि हमारी ही सरकार एनपीए की समस्या देश के सामने लेकर आयी है. हमने इस बीमारी को दूर करने के लिए कई कदम उठाये हैं. 50 करोड़ से बड़े सभी कर्ज की जांच की गयी. हमने कानून बदले, बैंकों का विलय किया. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में निरंतर सुधार किये जा रहे हैं. भगोड़ों की संपत्ति जब्त करने की प्रक्रिया चल रही है. बड़े लोन लेने वालों की बैंक डिटेल भी सरकार के पास रखना शुरू कर दिया है. 12 सबसे बड़े डिफॉल्टर जिन्हें 2014 के पहले लोन दिया था, जिनके एनपीए की राशि पौने 2 लाख करोड़ रुपये हैं, उन पर कार्रवाई की जा रही है. उन 12 के अलावा अन्य 27 के खिलाफ करीब 1 लाख करोड़ रुपये का एनपीए है. इनकी वापसी पर भी काम चल रहा है. जिन लोगों को लगता था कि उनके खाते में केवल इनकमिंग ही रहेगा, अब आउटगोइंग की शुरुआत हुई है.

लोन डिफॉल्टरों पर कसा जा रहा कानून का शिकंजा

प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले बैंक इनके पीछे पड़ते थे और हमने कानून ऐसा बनाया है कि अब ये खुद बैंक के पीछे दौड़ने लगे हैं. दिनोंदिन बैंकिंग सिस्टम मजबूत होने के साथ जांच एजेंसियों का शिकंजा कसने जा रहा है. इन बड़े लोन में से एक भी इस सरकार का दिया हुआ नहीं है. हमने आने के बाद बैंकों की दशा और दिशा बदल दी है. पहले नामदारों के आशीर्वाद से बड़े लोगों को लोन मिलता था, अब हमारे डाकियों के आशीर्वाद से आम लोगों को लोन मिलेगा. करोड़ों लोगों को मुद्रा योजना के तहत लोन दिया गया है.

खिलाड़ियों के साथ अर्थव्यवस्था को भी मिला है मेडल

मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी के आंकड़ों को लेकर प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे खिलाड़ियों ने एशियन गेम्स में सबसे अच्छा प्रदर्शन दिखाया, तो दूसरी तरफ देश की अर्थव्यस्था को भी मेडल मिला है. जो आंकड़े आये हैं, वह देश का आत्मविश्वास है. 8.2 फीसदी की रफ्तार भारत की ताकत को दिखाता है. ये आंकड़े जानकारों के अनुमान से अधिक हैं. जब देश सही दिशा में चलता और सही दिशा में काम होता है, तो ऐसे ही परिणाम आते हैं. भारत सबसे तेजी से गरीबी मिटाने वाला देश बना है. नया भारत सवा सौ करोड़ लोगों की मेहनत से आगे बढ़ रहा है.

देशवासियों के दरवाजे तक बैंक पहुंचाने के लिए इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक के माध्यम से हर गरीब, दूरदराज के पहाड़-जंगलों में बसे लोगों के दरवाजे तक बैंक पहुंचाने का संकल्प के पूरा होने का रास्ता खुल गया है. इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक देश के अर्थतंत्र में बड़ा बदलाव करने जा रहा है. हमारी सरकार ने पहले करोड़ों लोगों को जनधन के माध्यम से बैंक तक पहुंचाया और अब हम बैंक को गांव और गरीब के दरवाजे तक पहुंचा रहे हैं. आपका बैंक आपके द्वार यह हमारी प्रतिबद्धता है.

देश के 648 में शुरू होंगी पोस्ट पेमेंट बैंक की शाखाएं

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देशभर के 648 जिलों में पोस्ट पेमेंट्स बैंक इसकी शाखाएं शुरू हो रही हैं और हमारी चिट्ठियां लाने वाला डाकिया अब बैंक चलता-फिरता बैंक बन गया है. जीएसटी, जनधन, आधार जैसे सुधारों के क्रम में अब इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक भी जुड़ गया है. भारतीय डाक विभाग के पास डेढ़ लाख से अधिक डाकघर हैं. सवा लाख डाकघर गांवों में हैं. देश में करीब तीन लाख डाकिये और डाकसेवक हैं. इन्हें तकनीक से जोड़कर सबसे शक्तिशाली संस्था बना दिया गया है.

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