#Article35A पर सुनवाई जनवरी के दूसरे सप्ताह तक टली

नयी दिल्ली :सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर में कानून व्यवस्था की समस्या के बारे केंद्र और राज्य सरकार के कथन के मद्देनजर संविधान के अनुच्छेद 35-ए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई आज अगले साल जनवरी के लिए स्थगित कर दी. यह अनुच्छेद जम्मू कश्मीर के नागिरकों को विशेष अधिकार और […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 31, 2018 12:05 PM


नयी दिल्ली :
सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर में कानून व्यवस्था की समस्या के बारे केंद्र और राज्य सरकार के कथन के मद्देनजर संविधान के अनुच्छेद 35-ए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई आज अगले साल जनवरी के लिए स्थगित कर दी. यह अनुच्छेद जम्मू कश्मीर के नागिरकों को विशेष अधिकार और सुविधाएं प्रदान करता है.

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ की खंडपीठ से केंद्र की ओर से अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल और राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने अनुच्छेद 35-ए को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध किया. उनका कहना था कि राज्य में आठ चरणों में सितंबर से दिसंबर के दौरान स्थानीय निकाय के चुनाव हो रहे हैं और वहां कानून व्यवस्था की समस्या है. इन याचिकाओं पर सुनवाई अगले साल जनवरी के दूसरे सप्ताह के लिए स्थगित करते हुए पीठ ने कहा, ‘चुनाव हो जाने दीजिए. हमें बताया गया है कि वहां कानून व्यवस्था की समस्या है. संविधान में 1954 में राष्ट्रपति के आदेश पर अनुच्छेद 35-ए शामिल किया गया था.

यह अनुच्छेद जम्मू कश्मीर के नागरिकों को विशेष अधिकार और सुविधाएं प्रदान करता है तथा यह राज्य के बाहर के लोगों को इस राज्य में किसी भी प्रकार की अचल संपत्ति प्राप्त करने पर रोक लगाता है. यही नहीं, इस राज्य की कोई महिला यदि किसी बाहरी व्यक्ति से शादी करती है तो उसे संपत्ति के अधिकार से वंचित किया जाता है और उसके उत्तराधिकारियों पर भी यह प्रावधान लागू होता है. मामले पर सुनवाई शुरू होते ही अतिरिक्त सालिसीटर जनरल ने कहा कि राज्य में 4,500 सरपंचों और दूसरे स्थानीय निकाय के पदों के लिए आठ चरणों में सितंबर से दिसंबर के दौरान चुनाव होंगे.

उन्होंने सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध करते हुये कहा कि यदि स्थानीय निकाय के चुनाव नहीं हुये तो इसके लिए आवंटित 4,335 करोड़ रुपये की धनराशि का इस्तेमाल इस मद में नहीं हो सकेगा. उन्होंने राज्य की मौजूदा कानून व्यवस्था की ओर भी पीठ का ध्यान आकर्षित किया. अटार्नी जनरल ने कहा कि बड़ी संख्या में अर्द्धसैनिक बल वहां पर तैनात हैं. वहां शांतिपूर्ण तरीके से चुनाव हो जाने दीजिये और इसके बाद जनवरी या मार्च में इन याचिकाओं पर सुनवाई की जा सकती है. यह विषय बहुत ही संवेदनशील है.

अतिरिक्त सालिसीटर जनरल का कहना था कि हालांकि यह मुद्दा लैंगिक भेदभाव से संबंधित है परंतु इन याचिकाओं पर सुनवाई के लिए यह उचित समय नहीं है. संविधान के इस अनुच्छेद का विरोध कर रहे समूह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार ने कहा कि जम्मू कश्मीर जाकर वहां 60 साल से रहने वाले लोगों को वहां रोजगार या मेडिकल और इंजीनियरिंग कालेजों में शिक्षा के लिए प्रवेश का लाभ नहीं मिल रहा है. नेशनल कांफ्रेंस और मार्क्सवादी पार्टी सहित कुछ राजनीतिक दलों ने इस अनुच्छेद का समर्थन करते हुये भी शीर्ष अदालत में याचिकाएं दायर की हैं.

क्या है अनुच्छेद 35 ‘ए’?

अनुच्छेद 35A जम्मू-कश्मीर की विधान सभा को स्थायी नागरिक की परिभाषा तय करने का अधिकार देता है. अनुच्छेद 35A धारा 370 का हिस्सा है. इस धारा के तहत जम्मू-कश्मीर के अलावा भारत के किसी भी राज्य का नागरिक जम्मू-कश्मीर में कोई संपत्ति नहीं खरीद सकता इसके साथ ही वहां का नागरिक भी नहीं बन सकता. यह विशेषाधिकार राज्य में 14 मई 1954 को लागू किया गया था.

इसे खत्म करने की बात इसलिए हो रही है क्योंकि इस अनुच्छेद को संसद ने लागू नहीं किया गया है. दूसरा कारण ये है कि इस अनुच्छेद के ही कारण पाकिस्तान से आये शरणार्थी आज भी राज्य के मौलिक अधिकार और अपनी पहचान से वंचित हैं.

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