माॅनसून सत्र में नागरिक संशोधन विधेयक पेश नहीं करेगी संयुक्त संसदीय समिति

नयी दिल्ली : देश में छह दशक पुराने नागरिकता अधिनियम में संशोधन के लिए विवादित विधेयक की पड़ताल कर रही संयुक्त संसदीय समिति संसद के मौजूदा मानसून सत्र में अपनी रिपोर्ट नहीं सौंपेगी और अब इसे आगामी नवंबर-दिसंबर में शीतकालीन सत्र में सदन में पेश किया जायेगा. सूत्रों ने बताया कि शीतकालीन सत्र के अंतिम […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 30, 2018 7:44 AM
an image

नयी दिल्ली : देश में छह दशक पुराने नागरिकता अधिनियम में संशोधन के लिए विवादित विधेयक की पड़ताल कर रही संयुक्त संसदीय समिति संसद के मौजूदा मानसून सत्र में अपनी रिपोर्ट नहीं सौंपेगी और अब इसे आगामी नवंबर-दिसंबर में शीतकालीन सत्र में सदन में पेश किया जायेगा. सूत्रों ने बताया कि शीतकालीन सत्र के अंतिम सप्ताह के पहले दिन सदन में पेश किये जाने की अनुमति के लिए मौजूदा मानूसन सत्र में इस हफ्ते एक प्रस्ताव भी पेश किया जायेगा.

इसे भी पढ़ें : सीसीटीवी मुद्दे पर सबके सामने केजरीवाल ने फाड़ी एलजी की रिपोर्ट

उन्होंने बताया कि मेरठ से भाजपा सांसद राजेंद्र अग्रवाल की अगुवाई वाली यह समिति संसद के आगामी सत्र में इसे पेश करने की अनुमति सदन से लेगी क्योंकि प्रस्तावित संशोधन विधेयक में व्यापक हितों को देखते हुए समिति और अधिक अध्ययन, सिविल सोसाइटी के सदस्यों और अन्य लोगों से बातचीत करना चाहती है. नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016 में लोकसभा में पेश किया गया था. इसका मकसद 1955 के नागरिकता अधिनियम में संशोधन करना है.

संशोधन अधिनियम के अनुसार अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को भारत में 12 वर्ष की बजाय छह साल के प्रवास के बाद नागरिकता दिये जाने की व्यवस्था है, भले ही वह कोई उचित दस्तावेज पेश नहीं करें. इन अल्पसंख्यकों में हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई शामिल हैं. पूर्वोत्तर में लोगों के एक बड़े तबके और विभिन्न संगठनों ने इस विधेयक का विरोध किया है. उनका कहना है कि इससे असम समझौता 1985 अमान्य हो जायेगा.

इसे भी पढ़ें : अब देश छोड़कर नहीं भाग सकेंगे डिफॉल्टर, बदलेगा पासपोर्ट कानून

मेघालय और मिजोरम सरकारों ने भी इस संशोधन विधेयक का जबरदस्त विरोध करते हुए कहा है कि यह प्रस्ताव उनके खिलाफ है. नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016 पर संयुक्त समिति का गठन 23 अगस्त 2016 को किया गया था.

Exit mobile version