‘हलाला’ और बहुविवाह के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट, केंद्र को अपना पक्ष रखने की अनुमति दी

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने आज मुस्लिम समुदाय में बहुविवाह और ‘ निकाह हलाला ‘ को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर तुरंत सुनवाई पर विचार करने के लिए हामी भर दी है. प्रधान न्यायाधीश ने मुस्लिम समुदाय में बहुविवाह और ‘ निकाह हलाला ‘ को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर केंद्र को जवाब दाखिल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 2, 2018 11:56 AM

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने आज मुस्लिम समुदाय में बहुविवाह और ‘ निकाह हलाला ‘ को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर तुरंत सुनवाई पर विचार करने के लिए हामी भर दी है. प्रधान न्यायाधीश ने मुस्लिम समुदाय में बहुविवाह और ‘ निकाह हलाला ‘ को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर केंद्र को जवाब दाखिल करने की अनुमति दी.प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति एएम खानविलकर तथा न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता वी शेखर की इस दलील पर गौर किया कि याचिकाओं को अंतिम फैसले के लिए पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए. पीठ ने कहा , ‘ हम इसे देखेंगे.’

दिल्ली के याचिकाकर्ताओं में से एक समीना बेगम की ओर से पेश अधिवक्ता शेखर और अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि उनकी मुवक्किल को धमकी दी जा रही है और कहा जा रहा है कि मुस्लिम समुदाय में ‘ निकाह हलाला ‘ और ‘ बहुविवाह ‘ प्रथाओं को चुनौती देने वाली अपनी याचिका वह वापस ले लें, इस बीच पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता को इस याचिका पर जवाब दाखिल करने की अनुमति दी.

गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही सूत्रों के हवाले से यह खबर आयी थी कि सरकार ‘ट्रिपल तलाक’ के बाद ‘निकाह हलाला’ और बहुविवाह को भी असंवैधानिक घोषित करवाने के लिए इसके खिलाफ दायर याचिका का समर्थन करेगी.
‘हलाला’ मुसलमानों की एक ऐसी परंपरा है जिसके तहत अगर पति अपनी पत्नी को तलाक दे दे और दोबारा उससे शादी करना चाहे तो महिला को पहले किसी से शादी करनी होगी, फिर उस व्यक्ति के साथ कम से कम एक रात गुजारने के बाद तलाक लेना होगा तभी वह अपने पति के साथ फिर से शादी कर सकती है. इस परंपरा को महिला विरोधी बताते हुए इसे समाप्त करने की मांग मुस्लिम महिलाओं के तरफ से ही उठी है, जिसका केंद्र सरकार समर्थन करना चाह रही है.

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