‘राज्यों के पास फ्रीबीज के लिए धन हैं, जजों की सैलरी-पेंशन के लिए नहीं’, सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
चेन्नई : मद्रास उच्च न्यायालय ने अन्नाद्रमुक से दरकिनार किये गये नेता टीटीवी दिनाकरण के समर्थक 18 विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज खंडित फैसला दिया. मुख्य न्यायाधीश इंदिरा बनर्जी ने जहां तमिलनाडु विधानसभा के अध्यक्ष पी धनपाल द्वारा पिछले साल 18 सितंबर को विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के आदेश को बरकरार रखा , वहीं न्यायमूर्ति एम सुंदर ने उनसे सहमति जताते हुए विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को खारिज कर दिया.
न्यायमूर्ति बनर्जी ने कहा कि उनके बाद सबसे वरिष्ठतम न्यायाधीश यह तय करेंगे कि इस मामले पर नये सिरे से सुनवाई कौन से न्यायाधीश करेंगे. उच्च न्यायालय के खंडित फैसले से मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी सरकार को बड़ी राहत मिली है क्योंकि उनकी सरकार की स्थिरता के लिए कोई संभावित खतरा अब टल गया है. पीठ दल – बदल विरोधी कानून के तहत विधानसभा अध्यक्ष की ओर अयोग्य ठहराए गए 18 विधायकों की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी.
उन्होंने अपनी अयोग्यता को चुनौती दी है. इन विधायकों को 22 अगस्त को राज्यपाल से मिलने के बाद अयोग्य ठहरा दिया गया था. इस मुलाकात में उन्होंने पलानीस्वामी के नेतृत्व के प्रति अविश्वास जताया था और नेतृत्व बदलने की मांग की थी.