‘राज्यों के पास फ्रीबीज के लिए धन हैं, जजों की सैलरी-पेंशन के लिए नहीं’, सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
नयी दिल्ली : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने सोमवार को नरेंद्र मोदी सरकार में देश की अर्थव्यवस्था की हालत खराब होने का दावा करते हुए आरोप लगाया कि यह स्थिति सरकार की नीतिगत गलतियों और गलत फैसलों के कारण पैदा हुई है. चिदंबरम ने कृषि, जीडीपी, रोजगार सृजन, व्यापार और अर्थव्यवस्था के कुछ दूसरे मानकों के आधार पर सरकार को घेरा.
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘मई 2014 के बाद बहुत सारी बातें की गयी, लेकिन अर्थव्यवस्था की हालत खराब होती चली गयी.’ चिदंबरम ने कहा, ‘किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. न्यूनतम समर्थन मूल्य के मुताबिक उपज के दाम नहीं मिल रहे हैं. हर किसान जानता है कि लागत से 50 फीसदी से अधिक की बात जुमला है.’
उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक के सर्वेक्षण के मुताबिक 48 फीसदी लोगों ने माना कि अर्थव्यवस्था की हालत खराब हुई है. पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि पेट्रोल, डीजल और एलपीजी की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से आज देश में गुस्सा है. उन्होंने कहा कि अच्छे दिन के वादे के तहत हर साल दो करोड़ नौकरियों का वादा किया गया था, लेकिन कुछ हजार नौकरियां ही पैदा की गयी. श्रम ब्यूरो के सर्वेक्षण (अक्टूबर-दिसंबर, 2017) का डेटा जारी क्यों नहीं किया है?
चिदंबरम ने कहा कि विश्व स्तर पर अर्थव्यवस्था का असर कुछ हद तक देश की अर्थव्यवस्था पर होता है, लेकिन इनदिनों अमेरिका की अर्थव्यवस्था अच्छा कर रही है. यूरोप में स्थिति ठीक है. भारत में हमारी नीतिगत गलतियों और कुछ गलत कदमों की वजह से अर्थव्यवस्था की हालत खराब हुई है. उन्होंने कहा कि 2015-16 में विकास दर 8.2 फीसदी थी जो 2017-18 में घटकर 6.7 फीसदी हो गयी.
चिदंबरम ने कहा कि जीएसटी को गलत ढंग से लागू करने की वजह आज भी कारोबार प्रभावित हो रहे हैं. पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि पिछले चार वर्षों में एनपीए 2,63,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 10,30,000 करोड़ रुपये हो गया तथा आगे और बढ़ेगा.