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सुप्रीम कोर्ट में कर्नाटक की जंग: आधी रात से सुबह तक चली सुनवाई, जानें पूरा घटनाक्रम

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नयी दिल्ली : कर्नाटक के राज्यपाल वजूभाई वाला ने 104 सीटों वाले सबसे बड़े दल भाजपा को सरकार बनाने का न्योता दिया जिसके बाद राजनीतिक घमासान शुरू हो गया. राज्यपाल के भाजपा को बहुमत साबित करने 15 दिन का समय दिये जाने के फैसले के खिलाफ बुधवार रात 11 बजे कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट का […]

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नयी दिल्ली : कर्नाटक के राज्यपाल वजूभाई वाला ने 104 सीटों वाले सबसे बड़े दल भाजपा को सरकार बनाने का न्योता दिया जिसके बाद राजनीतिक घमासान शुरू हो गया. राज्यपाल के भाजपा को बहुमत साबित करने 15 दिन का समय दिये जाने के फैसले के खिलाफ बुधवार रात 11 बजे कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और अर्जी दाखिल की. कांग्रेस ने रात को ही इस पर सुनवाई का आग्रह किया था जिसके बाद सीजेआई दीपक मिश्रा की बनायी 3 जजों की बेंच ने सुप्रीम कोर्ट में रात 02:10 पर शुरू हुई.

सुनवाई के दौरान करीब साढ़े तीन घंटे तक जिरह चली जिसके बाद येदियुरप्पा के शपथ ग्रहण पर रोक लगाने जाने से इनकार कर दिया है. हालांकि, मामले में कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीले सुनने के बाद सुनवाई शुक्रवार सुबह 10:30 बजे तक के लिए टाल दी.

मामले में कोर्ट ने कांग्रेस की अर्जी को पूरी तरह से खारिज न करते हुए कहा कि इस अर्जी पर बाद में भी सुनवाई की जा सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने येदियुरप्पा सहित संबंधित लोगों को नोटिस जारी करते हुए जवाब देने का आदेश दिया. कांग्रेस-जेडीएस के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने बेंच के समक्ष अपना पक्ष रखते हुए कहा कि कोर्ट या तो गवर्नर के उस आदेश को असंवैधानिक बताकर रद्द कर दे, जिसमें येदियुरप्पा को सरकार बनाने का न्योता दिया गया है या फिर 112 विधायकों से ज्यादा के समर्थन वाले कांग्रेस और जेडीएस के गठबंधन को न्योता देने का आदेश पारित करे.

सिंघवी ने आगे यह भी कहा कि बुधवार को कांग्रेस विधायक दल ने प्रस्ताव पारित कर जेडीएस को समर्थन देने की घोषणा की थी. एचडी कुमारस्वामी ने 37 विधायकों के हस्ताक्षर भी गवर्नर को सौंपे थे, जिसमें कांग्रेस के समर्थन का जिक्र था. उन्होंने कहा कि भाजपा के पास 104 विधायकों का ही समर्थन प्राप्त है और गवर्नर ने भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा को सरकार बनाने न्योता दिया. ऐसा करना पूरी तरह से असंवैधानिक है. ये कभी नहीं सुना गया कि वो पार्टी जिसके पास 104 सीटें हों उसे 112 सीटों का बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन का वक्त दिया जाए. पहले ऐसे किसी भी मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से 48 घंटे ही दिए जाते थे. सिंघवी ने दलील के दौरान गोवा मामले का हवाला दिया और कहा कि गोवा में कांग्रेस के सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद उसे सरकार बनाने से रोक दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने भी भाजपा के सरकार बनाने को सही करार दिया था.

कोर्ट ने सिंघवी से सवाल किया कि क्या यह प्रथा नहीं रही है कि गवर्नर सबसे बड़ी पार्टी को ही बहुमत साबित करने के लिए न्योता देता हो ? बेंच ने पूछा कि क्या सुप्रीम कोर्ट गवर्नर को किसी पार्टी को सरकार बनाने का न्योता देने से रोक सकता है ? कोर्ट के द्वारा सवाल किये जाने के बाद सिंघवी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने यह पहले भी किया है. कोर्ट ने पूछा कि कर्नाटक में अभी किसका प्रभार है? सिंघवी ने जवाब दिया कि केयरटेकर सरकार का.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम इस पर विचार कर रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट गवर्नर को रोक सकती है, जो राज्य में संवैधानिक निर्वात (वैक्यूम) का कारण होगा. बेंच के जजों ने सिंघवी से सवाल किया कि वह पत्र कहां है, जिस पर गवर्नर ने भाजपा को सरकार बनाने का न्योता दिया ? जस्टिस एसए बोबड़े ने कहा कि हमें इस बात की जानकारी नहीं है कि बीएस येदियुरप्पा किस आधार पर बहुतम का दावा कर रहे हैं. जब तक हम वह पत्र नहीं देखते, हम इस बात का अंदाजा नहीं लगा सकते हैं.

इधर, अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने भाजपा का पक्ष कोर्ट के समक्ष रखा. वहीं, केंद्र की तरफ से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता कोर्ट में उपस्थित थे. भाजपा के वकील रोहतगी ने सुनवाई के दौरान कहा कि इस मामले में देर रात सुनवाई जरूरी नहीं है. यदि कोई शपथ ले लेता है तो कोई फर्क नहीं पड़ने वाला.

रोहतगी ने कांग्रेस-जेडीएस की अर्जी को खारिज करने की मांग की. साथ ही उन्होंने कहा कि शपथ के लिए न्योता देना का काम राज्यपाल का है. राष्ट्रपति और राज्यपाल किसी कोर्ट के लिए जवाबदेह नहीं ठहराया जा सकता है. कोर्ट को किसी संवैधानिक पदाधिकारी को उसके आधिकारिक कर्तव्यों निभाने से नहीं रोका जाना चाहिए.

पूरी सुनवाई के आखिर में सिंघवी येदियुरप्पा के शपथ ग्रहण को शाम 4:30 बजे तक टालने का पूरा प्रयास करते नजर आये. सुबह 5:30 बजे फैसला आया और कोर्ट ने कहा कि हम शपथ ग्रहण को रोक नहीं रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने शपथ ग्रहण पर कोई रोक नहीं लगायी हैं. सुबह 9 बजे येदियुरप्पा कर्नाटक के नये सीएम पद के लिए लेंगे शपथ. हालांकि सुप्रीम कोर्ट में कल 10.30 बजे इसी मामले में दोबारा सुनवाई की जायेगी.

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