इसरो जासूसी मामला : पूर्व वैज्ञानिक को फंसाने के संदेह में जांच की जद में एसआईटी

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि वह इसरो के पूर्व वैज्ञानिक एस नंबी नारायणन को 25 लाख रुपये का मुआवजा देने पर विचार कर सकता है. इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने इसरो जासूसी मामले में उन्हें फंसाने में एसआईटी अधिकारियों की भूमिका का पता लगाने के लिए जांच का आदेश […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 3, 2018 10:44 PM

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि वह इसरो के पूर्व वैज्ञानिक एस नंबी नारायणन को 25 लाख रुपये का मुआवजा देने पर विचार कर सकता है. इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने इसरो जासूसी मामले में उन्हें फंसाने में एसआईटी अधिकारियों की भूमिका का पता लगाने के लिए जांच का आदेश दिया.

इसे भी पढ़ें : वैज्ञानिक को झूठे मामले में फंसा कर अब मोदी सरकार के विरुद्ध खोला मोर्चा:भाजपा

इसरो के 76 वर्षीय वैज्ञानिक ने प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ से कहा कि मैंने देश की सेवा की है. मैं आहत हूं. यह गढ़ा हुआ मामला था. 10 साल तक मैंने कष्ट भुगता है. सीबीआई ने मुझे क्लीन चिट दी और मजिस्ट्रेट ने क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार किया. नारायणन ने कहा कि मैं एक करोड़ रुपये के मुआवजे और मुझे फंसाने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करता हूं.

उन्हें अब तक मुआवजे के तौर पर 10 लाख रुपये मिल चुके हैं. पीठ ने कहा कि वह मुआवजे के तौर पर एक करोड़ रुपये नहीं दे सकती. हालांकि, पीठ ने कहा कि उन्हें कुल 25 लाख रुपये का मुआवजा दिया जा सकता है और सरकार को फर्जी सनसनीखेज मामले में उन्हें फंसाने वाले अधिकारियों की भूमिका का पता लगाने के लिए कहा जा सकता है.

पीठ ने कहा कि मुआवजे की रकम को दोषी अधिकारियों के वेतन या पेंशन लाभों से काटा जा सकता है. सीबीआई के वकील ने यह भी कहा कि एजेंसी ने मामले को फर्जी पाया और उसने इसे बंद करने के लिए रिपोर्ट दाखिल की. इसे अदालत पहले ही स्वीकार कर चुकी है. पीठ ने तब एजेंसी से कहा कि क्या उसने गड़बड़ करने वाले अधिकारियों की भूमिका का पता लगाने और जवाबदेही तय करने के लिये कोई जांच की.

पीठ ने इसके बाद मामले की अगली सुनवाई की तारीख 11 मई को निर्धारित कर दी. इससे पहले, न्यायालय ने कहा था कि वह इसरो के पूर्व वैज्ञानिक की याचिका पर विस्तार से सुनवाई करेगा. याचिका में उन्होंने पूर्व डीजीपी सिबी मैथ्यूज और अन्य के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी. ये लोग एसआईटी का हिस्सा थे , जिन्होंने मामले की जांच की थी और उन्हें फंसाया था.

इसरो के 76 वर्षीय पूर्व वैज्ञानिक ने केरल हाईकोर्ट की दो सदस्यीय पीठ के फैसले के खिलाफ अपील दायर की थी. हाईकोर्ट ने कहा था कि पूर्व डीजीपी और दो सेवानिवृत्त पुलिस अधीक्षकों केके जोशुआ और एस विजयन के खिलाफ कोई कार्रवाई करने की जरूरत नहीं है. इन अधिकारियों को सीबीआई ने वैज्ञानिक की अवैध गिरफ्तारी के लिए कथित तौर पर जिम्मेदार ठहराया था.

Next Article

Exit mobile version