यौन शोषण के शिकार लड़कों के लिए मेनका गांधी ने की मुआवजे की वकालत

नयी दिल्ली : महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने लड़कियों के लिए बने कानून की तर्ज पर कुकर्म या यौन शोषण के शिकार लड़कों को मुआवजा देने के लिए मौजूदा ‘ योजना ‘ में संशोधन का आज प्रस्ताव रखा. उन्होंने बाल यौन शोषण के पीड़ित लड़कों पर एक अध्ययन की भी घोषणा की. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 25, 2018 4:02 PM
an image


नयी दिल्ली :
महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने लड़कियों के लिए बने कानून की तर्ज पर कुकर्म या यौन शोषण के शिकार लड़कों को मुआवजा देने के लिए मौजूदा ‘ योजना ‘ में संशोधन का आज प्रस्ताव रखा. उन्होंने बाल यौन शोषण के पीड़ित लड़कों पर एक अध्ययन की भी घोषणा की. पुरुषों के लिए यह अपनी तरह का खास अध्ययन है. मेनका ने लड़कों से यौन शोषण पर फिल्म निर्माता इंसिया दरीवाला की चेंज डॉट ओआरजी पर एक याचिका के जवाब में कहा , ‘ बाल यौन शोषण का सबसे अधिक नजरअंदाज किये जाने वाला वर्ग पीड़ित लड़कों का है.

बाल यौन शोषण में लैंगिक आधार पर कोई भेद नहीं है. बचपन में यौन शोषण का शिकार होने वाले लड़के जीवन भर गुमसुम रहते हैं क्योंकि इसके पीछे कई भ्रांतियां और शर्म है. यह गंभीर समस्या है और इससे निपटने की जरूरत है. ‘ मंत्री ने कहा कि याचिका के बाद उन्होंने राष्ट्रीय बाल संरक्षण अधिकार आयोग ( एनसीपीसीआर ) को पीड़ित लड़कों के मुद्दे पर विचार करने के निर्देश दिये हैं.

उन्होंने कहा , ‘ कांफ्रेंस से उठी सिफारिशों के अनुसार सर्वसम्मति से यह फैसला किया गया है कि बाल यौन शोषण के पीड़ितों के लिए मौजूदा योजना में संशोधन होना चाहिए ताकि कुकर्म या यौन शोषण का सामना करने वाले लड़कों को भी मुआवजा मिल सके.’ इस कांफ्रेंस के दौरान एनसीपीसीआर ने देशभर में यौन शोषण के शिकार 160 लड़कों के साथ किये गये दरीवाला के प्रारंभिक शोध का अध्ययन किया.

अब सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा रेप पीड़िता की पहचान उजागर करना गलत, हो सकती है सजा

मेनका ने कहा , ‘ इस अध्ययन के आधार पर एनसीपीसीआर ने जस्टिस एंड केयर के एड्रियन फिलिप्स के सहयोग के साथ इंसिया को आमंत्रित करने का फैसला किया है कि वे बाल यौन शोषण के शिकार लड़कों पर व्यापक अध्ययन करें और इसकी शुरुआत ऑब्जर्वेशन होम्स और स्पेशल नीड्स होम्स से करें.’ मंत्रालय ने बाल यौन शोषण पर आखिरी बार 2007 में अध्ययन किया था जिसमें पाया गया था कि 53.2 फीसदी बच्चों ने एक या उससे अधिक तरह के यौन शोषण का सामना किया है. इसमें से 52.8 प्रतिशत लड़के थे.

Exit mobile version