सुप्रीम कोर्ट ने कहा : जजों में सबसे बड़े हैं CJI, अविश्वास नहीं जता सकते

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट नेबुधवारको कहा कि भारत के प्रधान न्यायाधीश अपने ‘समकक्षों में प्रथम’ हैं. मुकदमों के आवंटन तथा उनकी सुनवाई के लिए पीठ के गठन का संवैधानिक अधिकार उन्हीं को है. भारत के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति डीवाइ चंद्रचूड़ की पीठ ने मुकदमों के तर्कपूर्ण तथा पारदर्शी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 11, 2018 12:39 PM
an image

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट नेबुधवारको कहा कि भारत के प्रधान न्यायाधीश अपने ‘समकक्षों में प्रथम’ हैं. मुकदमों के आवंटन तथा उनकी सुनवाई के लिए पीठ के गठन का संवैधानिक अधिकार उन्हीं को है. भारत के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति डीवाइ चंद्रचूड़ की पीठ ने मुकदमों के तर्कपूर्ण तथा पारदर्शी आवंटन और उनकी सुनवाई के लिए पीठों के गठन के संबंध में दिशा-निर्देश तय करने की मांग करने वाली जनहित याचिका को खारिज करते हुए उक्त टिप्पणी की.

इसे भी पढ़ें : सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठतम जजों का वस्तुत: सीजेआई के खिलाफ बगावत, कहा-लोकतंत्र खतरे में

पीठ के लिए फैसला लिखते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ ने संवैधानिक उपचार का हवाला देते हुए कहा कि ‘भारत के प्रधान न्यायाधीश समकक्षों में प्रथम हैं और मुकदमों के आवंटन तथा पीठों के गठन का अधिकार उनके पास है.’ आदेश में कहा गया है कि चूंकि भारत के चीफ जस्टिस उच्च संवैधानिक पदाधिकारी हैं, ऐसे में सुप्रीमकोर्ट द्वारा संविधान के तहत आने वाले कार्यों को सुनिश्चित करने के लिए ‘उनके द्वारा निभायी जाने वाली जिम्मेदारियों को लेकर कोई अविश्वास नहीं हो सकता है.’

इसे भी पढ़ें : भारत की न्यायपालिका में विवाद की वजह सोहराबुद्दीन केस से जुड़े जज बीएच लोया की मौत का केस क्या है?

शीर्ष अदालत के वरिष्ठ न्यायामूर्तियों जे चेलमेश्वर, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ द्वारा 12 जनवरी को किये गये संवाददाता सम्मेलन की पृष्ठभूमि में यह जनहित याचिका दायर की गयीथी. न्यायमूर्तियों ने संवाददाता सम्मेलन के दौरान भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) द्वारा मुकदमों के असंतुलित आवंटन का आरोप लगाया था. जनहित याचिका आशोक पांडेय ने दायर की थी.

Exit mobile version