गृह मंत्रालय ने कहा, कश्मीर में आईएस नहीं है
नयी दिल्ली : केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) की मौजूदगी के मुद्दे को तवज्जो न देते हुए आज कहा कि घाटी में इसका कोई वजूद नहीं है. गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘घाटी में आईएस का कोई भौतिक बुनियादी ढांचा या सदस्य नहीं है. घाटी में इसका वजूद […]
नयी दिल्ली : केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) की मौजूदगी के मुद्दे को तवज्जो न देते हुए आज कहा कि घाटी में इसका कोई वजूद नहीं है. गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘घाटी में आईएस का कोई भौतिक बुनियादी ढांचा या सदस्य नहीं है.
घाटी में इसका वजूद नहीं है. केंद्र सरकार ने यह टिप्पणी तब की है जब आईएस ने रविवार को जम्मू-कश्मीर में फारूक अहमद यातू नाम के एक पुलिसकर्मी की हत्या की जिम्मेदारी ली। एक अन्य अधिकारी ने बताया कि पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा पुलिसकर्मी पर हमले के पीछे हो सकता है और एशा फजली नाम का एक स्थानीय आतंकवादी इस मामले में मुख्य संदिग्ध के तौर पर उभरा है.
फजली पहले हिज्बुल मुजाहिदीन में शामिल हुआ था और बाद में उसने लश्कर-ए-तैयबा के प्रति अपनी वफादारी जताई थी. बहरहाल, जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) एस पी वैद्य ने श्रीनगर में कहा है कि अब यह साफ है कि आईएसआईएस ने हमले को अंजाम दिया था और यह ‘‘वास्तव में चिंताजनक संकेत है.
नवंबर 2017 में ऐसी खबरें थी कि वैश्विक आतंकवादी संगठन आईएसआईएस श्रीनगर में सुरक्षा बलों के साथ एक मुठभेड़ में शामिल रहा है, जिसमें मुगीस नाम का एक आतंकवादी मारा गया था और इमरान टाक नाम का एक सब-इंस्पेक्टर शहीद हुआ था। आईएसआईएस की आधिकारिक न्यूज एजेंसी ‘अमक’ ने हमले की जिम्मेदारी ली थी.
पृष्ठभूमि में आईएसआईएस के झंडे के साथ मुगीस की तस्वीरें सोशल मीडिया पर सामने आई थीं। दफनाए जाने के समय उसका शव आतंकवादी संगठन के झंडे में लिपटा हुआ था. बहरहाल, सुरक्षा अधिकारियों ने उस वक्त दावा किया था कि मुगीस तहरीक-उल-मुजाहिदीन नाम के एक चरमपंथी संगठन से संबंध रखता है और पुलवामा जिले में इस संगठन का कमांडर था.
तहरीक-उल-मुजाहिदीन 1990 के दशक के शुरुआती वर्षों में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के पैर पसारने के वक्त सामने आए शुरुआती आतंकवादी संगठनों में से एक है. एक अन्य अधिकारी ने कहा कि पुलिस को दोनों के बीच कोई संबंध नहीं मिले हैं. अधिकारियों ने कहा कि इस संगठन के सदस्यों की संख्या काफी कम है और वह हथियारों की कमी का भी सामना कर रहा है.
उन्होंने कहा कि तहरीक-उल-मुजाहिदीन पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और हिज्बुल मुजाहिदीन की स्थापना से बहुत पहले स्थापित हो चुका था. मुगीस के मारे जाने के बाद आदिल अहमद को पुलवामा में संगठन का कमांडर नियुक्त किया गया था.