‘राज्यों के पास फ्रीबीज के लिए धन हैं, जजों की सैलरी-पेंशन के लिए नहीं’, सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
गोवाहाटी : आल इंडिया डेमोक्रेटिक फ्रंट के प्रमुख बदरुद्दीन अजमल ने आज सेना प्रमुख बिपिन रावत की बयान से कड़ी नाराजगी जतायी है. उन्होंने आज यहां एक प्रेस कान्फ्रेंस कर कहा कि वे राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और गृहमंत्री से मिलने का समय मांगेंगे और उनकी पार्टी के विधायकों का प्रतिनिधिमंडल इनसे मिल कर अपनी बात रखेगा. उन्होंने कहा कि जब मैं गृहमंत्री से मिलता हूं तो वे पूरी गर्मजोशी से मुझसे मिलते हैं और मुझे बदरुद्दीन भाई कहते हैं, अगर हम राष्ट्रविरोधी होते तो क्या वे इस तरह मेरा स्वागत करते.
बदरुद्दीन अजमल ने यह बयान सेना प्रमुख बिपिन रावत के द्वारा एआइयूडीएफ और बीजेपी की तुलना किये जाने पर दिया. जनरल रावत ने असम में व पूर्वोत्तर में सक्रिय एआइयूडीएफ के बारे में कहा कि यह यहां तेजी से बढ़ रहा है और इसका विकास बीजेपी के मुकाबले तेज हुआ है. उन्होंने कहा कि जनसंघ का आज तक जो विकास हुआ है, उसके मुकाबले एआइयूडीएफ का विकास तेजी से हुआ है.सेना प्रमुख बुधवार को दिल्ली में डीआरडीओ में पूर्वोत्तर पर आयोजित एक सेमिनारमें बोल रहे थे.उनका पूरा भाषण असम में डेमोग्राफिक बदलाव, घुसपैठव राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा था. बदरुद्दीन की पार्टी एआइयूडीएफ मुसलिमों की आवाज प्रमुखता से उठाती है और 2014 के लोकसभा चुनाव में उसने तीन सीटें हासिल की थी, जबकि 24 पर उसका प्रदर्शन अच्छा रहा था.
बदरुदुद्दीन ने कहा कि हमें मुसलिम पार्टी कहा जाना गलत है, हमने चुनाव में20-25 हिंदू भाइयों को भी सीट दी है. उन्होंने कहा कि हम भारतीय हैं और हमें इसी रूप में जीने दिया जाये. उन्होंने कहा कि देश की आजादी में मुसलिमों ने भी कुर्बानी दी है. उन्होंने असम की डेमाेग्राफी में बदलाव पर कहा है कि यह जिम्मेवारी सरकार व सुरक्षा बलों की है और हमारी पार्टी यह कहती है कि जो भी बांग्लादेशी घुसे उसे खत्म कर दो. एमआइएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने भी सेना प्रमुख के बयान की आलोचना की है. वहीं, सेना ने कहा है कि आर्मी चीफ के बयान में कुछ भी गलत नहीं है और यह किसी धर्म से जुड़ा नहीं है.
एआइयूडीएफ की स्थापना की स्थापना 2005 में हुई. 2006 के असम चुनाव में इसे 10 सीटें और 2011 के चुनाव में 18 सीटें मिली थीं. इस पार्टी का असम के ग्रामीण इलाकों में अच्छा प्रभाव है.