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नाश्ते पर 68.59 लाख खर्च, उत्तराखंड सरकार ने कहा, फैलाया जा रहा भ्रम

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देहरादून : मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा नाश्ते और जलपान पर भारी भरकम खर्च किये जाने संबंधी खबरों पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत कार्यालय ने इसे मीडिया के एक वर्ग द्वारा फैलाया जा रहा भ्रम बताया है.मुख्यमंत्री कार्यालय ने आज स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा, ‘कुछ चैनलों और समाचार पत्रों में मुख्यमंत्री सचिवालय में जलपान के खर्च […]

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देहरादून : मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा नाश्ते और जलपान पर भारी भरकम खर्च किये जाने संबंधी खबरों पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत कार्यालय ने इसे मीडिया के एक वर्ग द्वारा फैलाया जा रहा भ्रम बताया है.मुख्यमंत्री कार्यालय ने आज स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा, ‘कुछ चैनलों और समाचार पत्रों में मुख्यमंत्री सचिवालय में जलपान के खर्च को लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है, जबकि हकीकत यह है कि पिछले 10 माह में इस मद में खर्च की गयी कुल राशि लगभग 50 लाख रूपये है.

बयान के मुताबिक, जनता दर्शन कार्यक्रम, मुख्यमंत्री कैंप आफिस और मुख्यमंत्री आवास पर जलपान पर पिछले दस माह में 33,85,791 रूपये खर्च हुए जबकि सचिवालय और विधानसभा स्थित मुख्यमंत्री सचिवालय में तैनात अधिकारियों के कार्यालय के जलपान का बिल 16,53,089 रुपये है.यह स्पष्टीकरण सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के हवाले से हाल में कुछ समाचार माध्यमों में छपी उन खबरों पर आया है जिनमें कहा गया है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत के 18 मार्च को मुख्यमंत्री बनने के बाद से मुख्यमंत्री कार्यालय ने नाश्ते और जलपान पर 68, 59,865 रूपये खर्च कर दिये.
मुख्यमंत्री कार्यालय के एक अधिकारी ने बताया कि करीब 50 लाख रूपये की इस राशि में मुख्यमंत्री आवास में आयोजित बैठकों और सीएम कैंप आफिस स्थित जनता दर्शन हाल में आयोजित कार्यक्रमों में जलपान के साथ ही भोजन पर खर्च की गई राशि भी शामिल है.उन्होंने कहा कि इससे भी महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि मुख्यमंत्री रावत स्वयं भी अपने वेतन से हर माह 10 हजार रुपए जलपान के खर्च का भुगतान कर रहे हैं.
हालांकि, जलपान पर 50 लाख रूपये के खर्च को थोडा ज्यादा मानते हुए मुख्यमंत्री कार्यालय ने इसकी वजह जीएसटी को बताया.बयान के अनुसार, ‘जीएसटी लागू होने से पहले मुख्यमंत्री सचिवालय और आवास में जलपान और भोजन पर हुए खर्चे पर केवल पांच फीसदी वैट और टैक्स लगता था.जीएसटी लागू होने के बाद जुलाई से अब कुल बिल पर 12.5 फीसदी टैक्स भी लग रहा है.यह भी जलपान के बिल में कुछ इजाफे का एक कारण है.
बयान में यह भी दावा किया गया है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत के पद संभालने के बाद से मुख्यमंत्री कार्यालय के सामान्य खर्चो में काफी कटौती की गयी है और ज्यादातर सरकारी कार्यक्रम अब मुख्यमंत्री आवास स्थित जनता दर्शन हाल में किये जा रहे हैं जबकि पूर्ववर्ती सरकार के समय इन्हें बडे होटलों में किये जाने की परंपरा थी .
इस राशि को पिछली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल की तुलना में काफी कम बताते हुए कहा गया है कि एक अनुमान के अनुसार यदि ये कार्यक्रम जनता दर्शन हाल में न होकर किसी बड़े होटल में होते तो उनका खर्चे का बिल ही करोड़ों रुपए होता .मुख्यमंत्री कार्यालय के अधिकारी ने कहा कि वैसे भी मुख्यमंत्री कार्यालय में जलपान की व्यवस्था सरकारी कंपनी गढवाल मंडल विकास निगम :जीएमवीएन: को सौंपी गयी है इसलिए इसमें पैसा सरकार से किसी निजी कंपनी को नहीं गया है.

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