‘ट्रिपल तलाक’ बिल पर सरकार मजबूर, सलेक्ट कमेटी के पास जाना तय, अब बजट सत्र में ही होगा निर्णय
नयी दिल्ली : कानून मंत्री रविशंकर ने कल राज्यसभा में ‘ट्रिपल तलाक’ बिल को पेश कर किया, लेकिन विपक्ष के हंगामे कारण इस बिल पर कोई चर्चा नहीं हुई. विपक्ष इस बिल को सलेक्ट कमेटी के पास भेजने पर अड़ा है और संसद का शीतकालीन सत्र कल पांच जनवरी तक ही है, ऐसे में बहुत […]
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नयी दिल्ली : कानून मंत्री रविशंकर ने कल राज्यसभा में ‘ट्रिपल तलाक’ बिल को पेश कर किया, लेकिन विपक्ष के हंगामे कारण इस बिल पर कोई चर्चा नहीं हुई. विपक्ष इस बिल को सलेक्ट कमेटी के पास भेजने पर अड़ा है और संसद का शीतकालीन सत्र कल पांच जनवरी तक ही है, ऐसे में बहुत संभावना है कि यह बिल अटक जाये, हालांकि सरकार ने आज की कार्यवाही में इस बिल को सूचीबद्ध किया है, लेकिन इसपर चर्चा हो पायेगी ऐसा लगता नहीं है, क्योंकि विपक्ष अपने रुख पर अड़ा है.
लोकसभा में तो सरकार ने इस बिल को पास करा लिया, लेकिन राज्यसभा से इसे पास कराना उनके लिए आसान नहीं है. राज्यसभा में कुल सांसदों की संख्या 245 है और सरकार को इस बिल को पास कराने के लिए 123 सांसदों के समर्थन की जरूरत होगी, जो सरकार के पास नहीं है. वर्तमान में सदन की जो स्थिति है, उसके अनुसार भाजपा के 57 सांसद हैं और कांग्रेस के भी 57 सांसद हैं. अगर सरकार के सहयोगियों को भी जोड़कर देखा जाये, तो सरकार के पास मात्र 82 सांसदों का समर्थन है, जबकि विपक्ष में 163 सांसद हैं, ऐसे में सरकार अगर नोमिनेटेट सांसदों का समर्थन भी हासिल कर लेती है, तो भी वह बिल को पास नहीं करा सकती.
सरकार के पास बिल को सलेक्ट कमेटी के सुपुर्द करने के अलावा कोई चारा नहीं है, क्योंकि विपक्ष की यही मांग है और सरकार मजबूर है. अगर बिल सलेक्ट कमेटी को भेजा गया, तो निश्चत तौर पर यह बिल फंस जायेगा और फिर बिल पर बजट सत्र में ही कोई चर्चा संभव है.
गौरतलब है कि 22 अगस्त 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने ‘ट्रिपल तलाक’ को असंवैधानिक बताते हुए सरकार को इसकी जगह पर छह माह के अंदर नया कानून बनाने को कहा था.
ऐसे में सरकार के पास एक माह का समय है. संसद का बजट सत्र भी इसी माह के अंतिम सप्ताह में शुरू होगा. संभव है कि तब तक इस बिल पर सलेक्ट कमेटी की अनुशंसा भी आ जाये और सरकार छह माह की अवधि समाप्त होने के पहले यानी की 22 फरवरी के पहले इस बिल को पास कर दे और ‘ट्रिपल तलाक’ बिल कानून का रूप ले ले.