दिल्ली में बेहद गंभीर स्तर पर पहुंचा वायु प्रदूषण, सांस तथा दिल के मरीजों को हो सकता है खतरा
नयी दिल्ली : दिल्ली में मंगलवार को वायु प्रदूषण बेहद गंभीर स्तर पर पहुंच गया. प्रदूषण परमीसिबल स्टैंडर्ड (अनुमेय स्तर या सहन करने योग्य स्तर) से कई गुना अधिक होने के चलते पूरी दिल्ली धुंध की मोटी चादर में लिपट गयी. बीती शाम से वायु की गुणवत्ता और दृश्यता में तेजी से गिरावट आ रही […]
नयी दिल्ली : दिल्ली में मंगलवार को वायु प्रदूषण बेहद गंभीर स्तर पर पहुंच गया. प्रदूषण परमीसिबल स्टैंडर्ड (अनुमेय स्तर या सहन करने योग्य स्तर) से कई गुना अधिक होने के चलते पूरी दिल्ली धुंध की मोटी चादर में लिपट गयी. बीती शाम से वायु की गुणवत्ता और दृश्यता में तेजी से गिरावट आ रही है तथा नमी और प्रदूषकों के मेल के कारण शहर में घनी धुंध छा गयी है. आज सुबह दस बजे तक केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने हवा की गुणवत्ता को बेहद गंभीर स्थिति में बताया जिसका मतलब यह है कि प्रदूषण बेहद खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है.
वर्तमान हालात के मद्देनजर उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर गठित पर्यावरण प्रदूषण रोकथाम एवं नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसी) द्वारा ग्रेडेड रेस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) के तहत तय उपाय इस्तेमाल में लाये जा सकते हैं जिसमें पार्किंग शुल्क को चार गुना बढ़ाया जाना शामिल है. अगर स्थिति और खराब होती है और कम से कम 48 घंटों तक बनी रहती है तो जीआरएपी के तहत आने वाला कार्यबल स्कूलों को बंद कर सकता है और सम-विषम (ऑड-ईवन) योजना को फिर शुरू कर सकता है.
पिछली बार हवा की गुणवत्ता दीपावली के एक दिन बाद 20 अक्तूबर को बेहद गंभीर स्थिति में पहुंची थी. तब से प्रदूषण के स्तर पर लगातार निगरानी रखी जा रही है और हवा की गुणवत्ता काफी खराब स्तर पर बनी हुई है. यह अत्यंत गंभीर से बेहतर स्थिति है लेकिन वैश्विक मानकों के मुताबिक यह भी खतरनाक है. वायु गुणवत्ता बेहद खराब होने का मतलब है कि लंबे समय तक इसके संपर्क में आने पर लोगों को श्वांस संबंधी परेशानी हो सकती है जबकि बेहद गंभीर स्तर पर होने का मतलब है कि यह सेहतमंद लोगों को पर भी असर डाल सकती है और सांस तथा दिल के मरीजों को गंभीर रुप से प्रभावित कर सकती है.
सीपीसीबी के एयर लैब प्रमुख दीपांकर साहा ने बताया कि हवा बिलकुल भी नहीं चल रही जिस वजह से यह हालात बने हैं. मौसम में मौजूद नमी ने जमीन पर स्थित स्रोतों से निकलने वाले प्रदूषकों को वहीं पर रोक दिया है. मौसम का हाल बताने वाली निजी एजेंसी स्कायमेट का कहना है कि पड़ोसी राज्य पंजाब और हरियाणा में बड़े पैमाने पर पराली जलायी जा रही है और वहां से हवा दोपहर के वक्त शहर में प्रवेश कर रही है. सीपीसीबी ने पडोसी शहर नोएडा और गाजियाबाद में भी हवा की गुणवत्ता बेहद गंभीर बतायी है.