वाजपेयी सरकार बनने के बाद सोनिया गांधी का मेरे प्रति रुख में बदलाव आया था : प्रणब मुखर्जी

नयी दिल्ली : राष्ट्रपति पद का कार्यकाल पूरा करने के बाद प्रणब मुखर्जी ने इंडिया टुडे को दिये एक इंटरव्यू में कई मुद्दों पर खुलकर बात की है. उन्होंने साल 2014 के आम चुनाव में कांग्रेस की हार, जीएसटी, नोटबंदी, डॉ मनमोहन सिंह एवं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर अपने विचार रखे हैं. इस इंटरव्यू […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 13, 2017 12:53 PM
an image

नयी दिल्ली : राष्ट्रपति पद का कार्यकाल पूरा करने के बाद प्रणब मुखर्जी ने इंडिया टुडे को दिये एक इंटरव्यू में कई मुद्दों पर खुलकर बात की है. उन्होंने साल 2014 के आम चुनाव में कांग्रेस की हार, जीएसटी, नोटबंदी, डॉ मनमोहन सिंह एवं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर अपने विचार रखे हैं. इस इंटरव्यू में मुखर्जी नेएक अहम बात यह कही है कि मनमोहन को पीएम बनाने का सोनिया गांधी का फैसला तब की परिस्थिति में सबसे उचित था. उन्होंने इंडिया टुडे ग्रुप एडिटोरियल डायरेक्टर राज चेंगप्पा को दिये साक्षात्कार में कहा है कि तब मनमोहन सिंह सोनिया गांधी का बेहतरीन प्रयोग थे.

प्रणब मुखर्जी ने माना कि सीटों में गड़बड़ी और गंठबंधन की कमजोरी के चलते लोकसभा चुनाव 2014 में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा. इस कड़ी में उन्होंने 2012 में ममता बनर्जी का अचानक यूपीए से अलग होने के फैसले का भी उल्लेख किया.

मुखर्जी ने कहा है कि यह कहना गलत है कि 132 साल पुरानी पार्टी कांग्रेस फिर सत्ता में वापस नहीं आयेगी. पूर्व राष्ट्रपति जो देश के वित्तमंत्री भी रहे हैं, ने आर्थिक मुद्दों पर भी अपने विचार रखे. उन्होंने पेट्रोलियम कीमतों, जीएसटी व अर्थव्यवस्था में गिरावट को लेकर मोदी सरकार की आलोचना से जुड़े सवाल पर कहा कि पैनिक नहीं पैदा किया जाये और दामों में बार-बार बदलाव नहीं किया जाये. उन्होंने कहा कि जीएसटी को लागू करने में आरंभ में दिक्कत तो आएगी ही.

प्रणब मुखर्जी ने कहा कि आरंभिक सालों में सोनिया गांधी का उनके प्रति ठंडापन वाला नजरिया था, लेकिन वाजपेयी सरकार बनने के बाद इसमें बदलाव आया. उन्होंने कहा कि साल 2004 के चुनाव में लोगों ने सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए कांग्रेस को वोट दिया था. इस सवाल पर कि मनमोहन सिंह काप्रधानमंत्री पद के लिए सोनिया द्वारा चुनाव किये जाने का फैसला आपको कैसा लगा, उन्होंने कहा कि मैं थोड़ा भी निराश नहीं हुआ. मुझे लगा कि उस समय मैं भारत का प्रधानमंत्री बनने के योग्य नहीं हूं.

मुखर्जी ने कहा कि मैं ज्यादातर राज्यसभा सदस्य रहा और सिर्फ 2004 में लोकसभा चुनाव जीता था. उन्होंने कहा मैं हिंदी नहीं जानता था, ऐसे में बिना हिंदी जाने भारत का प्रधानमंत्री नहीं बनना चाहिए. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे कामराज ने एक बार कहा था कि बिना हिंदी के ज्ञान के भारत का प्रधानमंत्री नहीं बनना चाहिए.

पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि यूपीए -1 गंठबंधन को बेहतर ढंग से चलाया और सुशासन दिया, लेकिन यूपीए – 2 गंठबंधन बेहतर ढंग से नहीं चला सका. उन्होंने कहा कि 2014 में कांग्रेस का खुफिया तंत्र सटीक जानकारी नहीं उपलब्ध करवा रहा था, जिसका खामियाजा हार के रूप में देखना पड़ा.

Exit mobile version