बीफ-शराब पर हंगामे के बीच नीति आयोग CEO का बड़ा बयान : राज्य तय नहीं कर सकते पर्यटकों का खानपान

नयी दिल्ली: शराब प्रतिबंध का दायरा बढने के साथ देश के पर्यटन उद्योग के लिए खतरा पैदा हो रहा है. ऐसे में नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी :सीईओ: अमिताभ कांत ने आज कहा कि यह तय करना राज्यों का काम नहीं है कि पर्यटकों को क्या पीना और क्या खाना चाहिए. विश्व आर्थिक मंच […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 6, 2017 5:57 PM
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नयी दिल्ली: शराब प्रतिबंध का दायरा बढने के साथ देश के पर्यटन उद्योग के लिए खतरा पैदा हो रहा है. ऐसे में नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी :सीईओ: अमिताभ कांत ने आज कहा कि यह तय करना राज्यों का काम नहीं है कि पर्यटकों को क्या पीना और क्या खाना चाहिए.

विश्व आर्थिक मंच के भारत आर्थिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कांत ने कहा, राज्यों को इस मामले में नहीं पड़ना चाहिए कि पर्यटक क्या खाना चाहता है और क्या पीना चाहता है. ऐसा नहीं हो सकता हैकि वह क्या खाना या पीना चाहते हैं, यहा उनका निजी मामला है, यह राज्यों का काम नहीं है.

उनसे पूछा गया था कि क्या बीफ और शराब पर प्रतिबंध लगाने वाले राज्य यह नहीं समझ पाए हैं कि दुबई क्यों इतना शानदार प्रदर्शन करता है. जिस देश को भी पर्यटकों की जरूरत है तो वह उन्हें सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध कराता है. उन्होंने कहा, कुछ चीजों को मैं लंबे समय से मानता हूं.

पर्यटन अनिवार्य रूप से सभ्यता की प्रकृति का होता है. ऐसा नहीं हो सकता है कि आप कूड़ा कचरा रखें और साथ ही कहें कि हमारे पास काफी ऐतिहासिक पर्यटन स्थल है. ऐसे में भारत को स्वच्छता पर ध्यान देने की जरूरत है. यह निश्चित रूप से पहले नंबर पर होना चाहिए. नंबर दो बिना किसी बाधा के बेहतर अनुभव प्रदान करना है. कम से कम चार राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, केरल और दमन ने शराब की बिक्री पर रोक लगाने की योजना बनायी है. वहीं गुजरात, बिहार, नगालैंड और मणिपुर में शराब पहले से प्रतिबंधित हैं.

भारत में व्हिस्की की बिक्री दुनिया में सबसे अधिक है. इसकी वजह से कई सामाजिक बुराइयां पैदा हुई हैं. इसके अलावा इन राज्यों का कहना है कि दुर्घटनाओं की एक प्रमुख वजह शराब पीकर गाड़ी चलाना है. यह पूछे जाने पर क्या उन्होंने राजनीतिक नेतृत्व को अपने इन विचारों से अवगत कराया है, कांत ने कहा कि मैंने हमेशा कहा है कि पर्यटकों के वास्ते बेहतर अनुभव का सृजन होना चाहिए.

उल्लेखनीय है कि कल ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शराब के बढ़ते चलन पर चिंता प्रकट की थी और कहा था कि अगर ऐसा ही रहा तो यह हमारे समाज को 20-25 सालों में बर्बाद कर देगा.

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