अब तलाक के लिए छह महीने तक साथ रहने की बाध्यता नहीं : सुप्रीम कोर्ट

नयी दिल्ली : अगर तलाक सहमति से हो रहा हो और अलग होने का आदेश मिल चुका हो, तो छह महीने के ‘कूलिंग अॅाफ’ पीरियड तक रूकने की आवश्यकता नहीं है, विवाह एक सप्ताह में समाप्त हो सकता है. हिंदू दंपतियों के लिए यह निर्देश कल सुप्रीम कोर्ट ने दिया है. कोर्ट ने कहा कि […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 13, 2017 11:32 AM

नयी दिल्ली : अगर तलाक सहमति से हो रहा हो और अलग होने का आदेश मिल चुका हो, तो छह महीने के ‘कूलिंग अॅाफ’ पीरियड तक रूकने की आवश्यकता नहीं है, विवाह एक सप्ताह में समाप्त हो सकता है. हिंदू दंपतियों के लिए यह निर्देश कल सुप्रीम कोर्ट ने दिया है.

कोर्ट ने कहा कि छह महीने के इंतजार की अवधि को समाप्त किया जा सकता है, अगर शादी को बचाने के दोनों पक्षों के प्रयास पहले ही विफल हो चुके हों. साथ ही अगर दोनों पक्ष एक साल की अवधि से अलग रह रहे हों.
इस व्यवस्था का उद्देश्य यह है कि अगर दोनों पक्ष सहमति से विवाह संस्था को समाप्त करना चाहते हैं और शादी बचाने के तमाम प्रयास विफल हो गये हैं तो अलगाव में बेवजह की देरी न हो. कोर्ट ने कहा कि अगर दो पक्ष साथ नहीं रहना चाहता बेकार की देरी क्यों हो. ‘कूलिंग अॅाफ’ पीरियड का उद्देश्य जल्दबाजी में लिये गये फैसले से होने वाले नुकसान को रोकना मात्र था.

इस व्यवस्था के बारे में बताते हुए जस्टिस एके गोयल और जस्टिस यूयू ललित ने कहा कि कूलिंग अॅाफ पीरियड का उद्देश्य यह है कि दंपति जल्दबाजी में कोई गलत निर्णय ना करें. लेकिन इस अवधि को अनिवार्य नहीं किया जा सकता है.

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