दिल्‍ली के 449 निजी स्कूलों काे टेकओवर करेगी केजरीवाल सरकार, LG ने दी मंजूरी

नयी दिल्ली : दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) अनिल बैजल ने राजधानी के 449 प्राइवेट स्कूलों को टेकओवर करने के दिल्ली सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. अरविंद केजरीवाल के नेतृत्ववाली आप सरकार ने इस प्रस्ताव को मंजूरी के लिए उपराज्यपान के पास भेजा था. प्रस्ताव के मंजूर हो जाने के बादअब अभिभावकों से […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 21, 2017 3:22 PM
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नयी दिल्ली : दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) अनिल बैजल ने राजधानी के 449 प्राइवेट स्कूलों को टेकओवर करने के दिल्ली सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. अरविंद केजरीवाल के नेतृत्ववाली आप सरकार ने इस प्रस्ताव को मंजूरी के लिए उपराज्यपान के पास भेजा था. प्रस्ताव के मंजूर हो जाने के बादअब अभिभावकों से वसूली गयी फीस न लौटाने पर अब दिल्‍ली सरकार इन स्‍कूलों पर कार्रवाई कर सकेगी. एलजी बैजल ने मंजूरी देते हुए कहा कि दिल्‍ली सरकार का यह अच्‍छा फैसला है. इससे छात्रों का भविष्‍य बेहतर बनेगा. वहीं, उन बच्‍चों को भी इन स्‍कूलों में पढ़ने का मौका मिलेगा जो फीस ज्‍यादा होने के कारण इन स्‍कूलों में शिक्षा नहीं ले पा रहे थे.

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 18 अगस्त को नियमों के खिलाफ जाकर फीस बढ़ानेवाले प्रावेट स्कूलों से दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए बढ़ी हुई फीस अभिभावाकों को वापस करने की अपील की थी. केजरीवाल ने कहा था कि स्कूल अगर अदालत के आदेश का पालन नहीं करते हैं तो सरकार को अंतिम विकल्प के तौर पर इन स्कूलों का प्रबंधन और संचालन अपने हाथों में लेना पड़ेगा.

गौरतलब है कि दिल्‍ली के 449 निजी स्‍कूलों पर मनमानी फीस वसूलने का आरोप था. शिक्षा निदेशालय के निर्देश के बाद भी उन्होंने स्कूली बच्चों के परिजनों से ली गयी फीस वापस नहीं की थी. इन स्कूलों में डीपीएस, स्प्रिंग डेल, संस्कृति स्कूल, एमिटी इंटरनेशनल स्कूल समेत माडर्न पब्लिक स्कूल भी शामिल हैं. वहीं, हाईकोर्ट में भी इसे लेकर याचिका डाली गयी है. अभिभावकों की शिकायत के बाद दिल्‍ली सरकार में शिक्षामंत्री मनीष सिसोदिया ने स्‍कूलों के टेकओवर की अनुमति मांगी थी, साथ ही इसका प्रस्‍ताव एलजी के पास भेजा था. जिसे मंजूर कर लिया गया है.

ज्ञात हो निजी स्कूलों को दिल्ली सरकार सस्ती दर पर बेशकीमती जमीन उपलब्ध कराती है. वहीं, निजी स्कूल सातवें वेतनमान के नाम पर स्कूली बच्चों के परिजनों से मनमाना पैसा वसूल रहे हैं. ऐसे में सरकार ने यह भरोसा दिलाया था कि सरकार सातवें वेतनमान के लिए अलग से फंड देने का प्रावधान करेगी. इसके बावजूद निजी स्कूलों ने फीस बढ़ा दी और निदेशालय के निर्देश का उल्लंघन करते हुए बढ़ी फीस भी वापस नहीं की.

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