वित्त वर्ष 2019-20 में सरकार का खर्च बढ़कर 26 लाख करोड़ रुपये पर पहुंचेगा : समीक्षा
नयी दिल्ली : केंद्र सरकार का कुल खर्च वित्त वर्ष 2019-20 में बढ़कर 26 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच जाने का अनुमान है. वित्त मंत्रालय के एक दस्तावेज के अनुसार चालू वित्त वर्ष में इसके 21.46 लाख करोड रुपये रहने का अनुमान है. संसद में आज पेश मध्यावधि व्यय ढांचा विवरण 2017-18 में अनुमान लगाया […]
नयी दिल्ली : केंद्र सरकार का कुल खर्च वित्त वर्ष 2019-20 में बढ़कर 26 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच जाने का अनुमान है. वित्त मंत्रालय के एक दस्तावेज के अनुसार चालू वित्त वर्ष में इसके 21.46 लाख करोड रुपये रहने का अनुमान है. संसद में आज पेश मध्यावधि व्यय ढांचा विवरण 2017-18 में अनुमान लगाया गया है कि सरकार का पूंजीगत खर्च 2019-20 तक 25 प्रतिशत बढ़कर 3.9 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच जायेगा और इस दौरान केवल रक्षा बजट के पूंजीगत खर्च में 22 प्रतिशत का इजाफा होगा.
रपट के अनुसार सरकार का कुल व्यय 2017-18 के 21.46 लाख करोड़ रुपये से 2018-19 में 23.4 लाख करोड़ रुपये और 2019-20 में 25.95 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच जाने का अनुमान है. चालू वित्त वर्ष में पूंजीगत खर्च 3.09 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया है और राजस्व खर्च 18.36 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है. इस तरह कुल खर्च 21.46 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है. सरकार के कुल पूंजीगत खर्च में रक्षा क्षेत्र के पूंजीगत खर्च का हिस्सा 30 प्रतिशत का है.
चालू वित्त वर्ष में रक्षा क्षेत्र पर पूंजीगत खर्च 91,580 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जो अगले वित्त वर्ष में 1,01,137 करोड़ रुपये और 2019-20 में 1,11,706 करोड़ रुपये पर पहुंच जायेगा. वित्तीय उत्तर दायित्व एवं बजट प्रबंधन कानून के प्रावधानों के तहत प्रस्तुत इस मध्यावधिक रपट में अनुमान लगाया गया है कि उर्वरक सब्सिडी पर खर्च चालू वित्त वर्ष से 2019-20 तक 70,000 करोड़ रुपये के स्तर पर स्थिर रहेगा. इसके विपरीत खाद्य सब्सिडी बिल 2018-19 में बढ़कर 1.75 लाख करोड़ रुपये और 2019-20 में दो लाख करोड़ रुपये पर पहुंचने का अनुमान लगाया गया है. चालू वित्त वर्ष में खाद्य सब्सिडी बिल 1.45 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है.
वहीं पेट्रोलियम सब्सिडी 2018-19 में घटकर 18,000 करोड़ रुपये और 2019-20 में 10,000 करोड़ रुपये पर आने का अनुमान है. चालू वित्त वर्ष में इसके 25,000 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है. पेट्रोल और डीजल कीमतों को नियंत्रणमुक्त कर दिया गया है और पेट्रोलियम पर सब्सिडी सिर्फ एलपीजी और केरोसिन पर दी जा रही है. समीक्षा में कहा गया है कि सब्सिडी को तर्कसंगत बनाने के सरकार के प्रयासों के तहत सरकार ने एलपीजी सिलेंडरों का दाम हर महीने चार रुपये बढ़ाने का फैसला किया है.
सरकार का लक्ष्य एलपीजी सिलेंडरों पर सब्सिडी को मार्च, 2018 तक समाप्त करना है. सरकार एलपीजी ग्राहकों के लिए सब्सिडी का भुगतान सीधे उनके खातों में करने का कार्य सफलतापूर्वक क्रियान्वित कर चुकी है. अब सरकार का लक्ष्य केरोसिन पर सब्सिडी में कमी करना है. माल एवं सेवा कर (जीएसटी) को एक जुलाई से लागू किया गया है. समीक्षा में कहा गया है कि नोटबंदी के बाद निगरानी बढ़ने से अगले दो वित्त वर्षों में कर दायरा बढ़ेगा. इसमें कहा गया है कि कर-जीडीपी अनुपात 2018-19 और 2019-20 में 0.3 प्रतिशत बढ़ेगा. इसके 2018-19 में 11.6 प्रतिशत तथा 2019-20 में 11.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है.
समीक्षा कहती है कि चालू वित्त वर्ष में राजस्व घाटे को जीडीपी के दो प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य हासिल हो जायेगा. अगले साल यह 1.9 प्रतिशत रहेगा. हालांकि, प्रभावी राजस्व घाटे को नये सिरे से तय करने की जरुरत होगी. इसमें कहा गया है कि रक्षा क्षेत्र में कुल राजस्व खर्च (पेंशन को छोड़कर) 2018-19 में 10.4 प्रतिशत बढ़ेगा और 2019-20 में यह 8.5 प्रतिशत बढ़ेगा. इससे रक्षा राजस्व खर्च 2018-19 में 2,01,511 करोड़ रुपये और 1019-20 में 2,18,629 करोड़ रुपये हो जायेगा.