‘राज्यों के पास फ्रीबीज के लिए धन हैं, जजों की सैलरी-पेंशन के लिए नहीं’, सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
नयी दिल्ली : जदयू के वरिष्ठ नेता शरद यादव ने भाजपा के साथ अपनी पार्टी के गठबंधन पर सोमवार को चुप्पी तोड़ते हुये कहा कि जनादेश इसके लिए नहीं था. उन्होंने बिहार में ‘महा गठबंधन’ टूटने को बेहद ‘अफसोसनाक’ और ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ बताया. शरद यादव ने संसद के बाहर संवाददाताओं से कहा, ‘यह स्थिति (गठबंधन टूटना) हमारे लिये बेहद अफसोस की बात है…यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि गठबंधन टूट गया है. जनादेश इसके लिए नहीं था.’
कांग्रेस सहित तीन दलों के महागठबंधन से बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू प्रमुख नीतीश कुमार के अलग होने और राजग खेमे में शामिल होने के बाद राज्यसभा सदस्य ने विपक्ष के कई नेताओं से मुलाकात की. उन्होंने कांग्रेस और वाम दलों के शीर्ष नेताओं से मुलाकात की, जिससे अटकलें लगने लगीं कि वह उस पार्टी के साथ अपना नाता तोड़ सकते हैं जिसे उन्होंने कुमार के साथ मिलकर बनाया था.
दूसरी तरफ, कुमार ने यादव के विचार को ज्यादा तवज्जो नहीं देते हुए कहा कि लोकतंत्र में लोगों की अलग-अलग राय होती है और पार्टी नेता 19 अगस्त को पटना में जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में सारी बातें साफ कर देंगे. पटना में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि पार्टी की बिहार इकाई ने राजद से नाता तोडने और भाजपा से हाथ मिलाने के फैसले का समर्थन किया था.
उन्होंने उल्लेख किया कि पार्टी की मान्यता केवल बिहार में है. परोक्ष रूप से ऐसा कहकर उन्होंने विभिन्न राज्य इकाइयों द्वारा बगावती विचार को खारिज करने की कोशिश की. कुमार ने कहा कि यादव ने बिहार के पूर्व राज्यपाल, रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर जदयू के समर्थन देने के फैसले का भी विरोध किया था.