सोनिया के सलाहकार अहमद पटेल का राज्यसभा जाना मुश्किल, मोदी-शाह से डरी कांग्रेस ने MLA को बेंगलुरु भेजा
अहमदाबाद : अपनी आक्रामक राजनीति के लिए पहचानी जाने वाली नरेंद्र मोदी-अमित शाह की जोड़ी ने गुजरात कांग्रेस की राह आने वाले दिनों व विधानसभा के मद्देनजर बेहद मुश्किल कर दी है. और, उनकी इस रणनीति में मंझे नेता व मोदी के पुराने मित्र शंकर सिंह वाघेला पूरा मौन सहयोग दे रहे हैं.राज्य की तीनराज्यसभा […]
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अहमदाबाद : अपनी आक्रामक राजनीति के लिए पहचानी जाने वाली नरेंद्र मोदी-अमित शाह की जोड़ी ने गुजरात कांग्रेस की राह आने वाले दिनों व विधानसभा के मद्देनजर बेहद मुश्किल कर दी है. और, उनकी इस रणनीति में मंझे नेता व मोदी के पुराने मित्र शंकर सिंह वाघेला पूरा मौन सहयोग दे रहे हैं.राज्य की तीनराज्यसभा सीटों के लिए होने वाले चुनाव के लिएमोदी-शाह ने कांग्रेसकेहीबागी विधायक बलवंत सिंह राजपूतको अपना तीसरा उम्मीदवार बनाया है, जिससे कांग्रेस के बड़े नेता अहमद पटेल के राज्यसभा पहुंचने की राह बेहद कठिन हो गयी है.इससे परेशान कांग्रेस ने अपने विधायकोंको टूट सेबचानेके लिए बेंगलुरुभेज दिया है.
दो सीट भाजपा की पक्की, नाक की लड़ाई तीसरे पर
गुजरात में दो सीटों से भाजपा अध्यक्ष अमित शाह व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की जीत तय है. अब मुकाबला तीसरी सीट के लिए कांग्रेस के अहमद पटेल व भाजपा उम्मीदवार बलवंत सिंह राजपूत के बीच है. अहमद पटेल कोई साधारण नेता नहीं हैं, जिनकी हार से पार्टी पर थोड़ा-बहुत असर पड़े, बल्कि उनकी हार न सिर्फ गुजरात कांग्रेस बल्कि राष्ट्रीय कांग्रेस पर भी मनोवैज्ञानिक असर डालेगी. अहमद पटेल कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार हैं और सोनिया-राहुल के बाद आज की कांग्रेस पर अहमद पटेल और दिग्विजय सिंह का ही सबसे ज्यादा प्रभाव है.
अहमद हारते हैं तो बिखरेगी कांग्रेस, विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिलेगा लाभ
अहमद पटेल गुजरात से आने वाले कांग्रेस के सबसे बड़े नेता हैं. अगर वे भाजपा-वाघेला की घेराबंदी से चुनाव हार जाते हैं तो इससे गुजरात कांग्रेस में आने वाले पखवाड़े-महीने में भगदड़ और तेज हो सकती है. ध्यान रहे कि नवंबर में गुजरात में विधानसभा चुनाव होना है. भाजपा वहां पहले से पटेल आंदोलनका दंश झेल रही है. इस नुकसान की भरपाई करने के लिए वह नये वोट आधार, नये विकल्प व मनोवैज्ञानिक बढ़त का मौका तलाश रही है. यह मनोवैज्ञानिक बढ़त वह कांग्रेस में भगदड़ की स्थिति उत्पन्न कर हासिल कर सकती है, जिसके लिए पूरी कोशिश जारी है.
कांग्रेस के पास क्या है संख्या बल
182 सदस्यों वाली गुजरात विधानसभा में कांग्रेस के छह विधायकों के पार्टी छोड़ जाने के बाद 51 विधायक बचे हैं. राज्य में आठ अगस्त कोराज्यसभा चुनाव की वोटिंग है. इसमें तीसरी सीट से जीत के लिए कांग्रेस को अपने उम्मीदवार अहमद पटेल को कम से कम 47 विधायकों का वोट दिलाना होगा. लेकिन, कांग्रेस के कई विधायकों पर वघेला की मजबूत पकड़ और मोदी-शाह की रणनीति को देखते हुए यह मुश्किल लग रहा है. अबतक कांग्रेस के 44 विधायकही बेंगलुरु पहुंचे हैं. सूत्रों ने खबर दी है कि कुछ विधायक कर्नाटक जाने से मना कर रहे हैं. यह स्थिति कांग्रेस के लिए अच्छी नहीं है.
राज्यसभा चुनाव : वाघेला ने अहमद पटेल की राह में बिछाये कांटे, BJP ने तीसरी सीट पर भी ठोका दावा
लोकसभा चुनाव 2014 के दौरान का विवाद
लोकसभा चुनाव 2014 के दौरान भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने दूरदर्शन को दिये बहुचर्चित इंटरव्यू में कहा था कि वे और अहमद पटेल बड़े अच्छे दोस्त हैं. वे उन्हें अहमद भाई नहीं बल्कि बाबू भाई यानी बड़ा भाई कहते हैं. मोदी ने यह भी कहा था कि वे और अहमद पटेल कई बार साथ खाना खाते हैं. मोदी के इस बयान का अहमद पटेल ने कड़े शब्दों में खंडन किया था. उन्होंने तब मीडिया से कहा था कि मोदी के जब भाजपा में ही अच्छे दोस्त नहीं हैं, तो मैं कैसेउनकादोस्त हो सकता हूं? उन्होंने कहा था कि उनकी नरेंद्र मोदी से किसी तरह के संबंध या मित्रता नहीं है.
राजनीति में वैचारिक मतभेद होते हैं, लोग अलग-अलग दलों में भी रहते हैं. बावजूद इसके सार्वजनिक व राजनीतिक जीवन में होने पर एक निजी रिश्ता व लोकाचार होता है. अहमद पटेल के तब के बयान को मोदी ने यूं ही तो नहीं लिया होगा.