बंदरगाहों के अस्पताल बनेंगे मेडिकल कॉलेज, डॉक्टरों की कमी होगी दूर : गडकरी
नयी दिल्ली : केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने शुक्रवार को कहा कि ऐसे समय में जब भारत 9 लाख डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है तब प्रमुख बंदरगाहों पर स्थित अस्पतालों को मेडिकल कॉलेजों में तब्दील करने से न केवल लोगों की स्वास्थ्य जरुरतें पूरी होंगी बल्कि विशेषज्ञों की कमी भी दूर होगी. गडकरी […]
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नयी दिल्ली : केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने शुक्रवार को कहा कि ऐसे समय में जब भारत 9 लाख डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है तब प्रमुख बंदरगाहों पर स्थित अस्पतालों को मेडिकल कॉलेजों में तब्दील करने से न केवल लोगों की स्वास्थ्य जरुरतें पूरी होंगी बल्कि विशेषज्ञों की कमी भी दूर होगी. गडकरी ने यह भी कहा कि देश के दो लाख किलोमीटर लंबे राजमार्गो के साथ आप्टिकल फाइबर केबल तथा तेल एवं गैस पाइपलाइन बिछायी जा सकती है.
गडकरी ने कहा कि इससे सड़क मंत्रालय को अतिरिक्त आमदनी होगी. इस अतिरिक्त आमदनी से और सड़कों का निर्माण और रखरखाव करने में मदद मिलेगी. मंत्री ने कहा कि बंदरगाहों पर स्थित अस्पतालों का अध्ययन करने और उनके विकास के तौर तरीके सुझाने के लिए गठित उच्चस्तरीय समिति ने इन अस्पतालों को सार्वजनिक निजी साझेदारी के आधार पर मेडिकल कॉलेजों या स्पेशलिटी केंद्रों में बदलने की सिफारिश की है.
केंद्रीय नौवहन, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री ने समिति द्वारा दिये गये प्रस्तुतीकरण के बाद कहा, ‘देश में नौ लाख डॉक्टरों की कमी है. बंदरगाह के स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे का इष्टतम इस्तेमाल करने के लिए हमने बंदरगाह अस्पतालों को पीपीपी आधार पर विकसित करने का प्रस्ताव रखा है.’ उन्होंने कहा कि सीमित संसाधनों का नवोन्मेषी तरीके से दोहन करने के लिए लीक से हटकर सोचने की जरुरत है.
उन्होंने कहा कि इन बंदरगाह अस्पतालों का सरकार द्वारा उन्नयन करने से न केवल कर्मचारियों के रिश्तेदार मेडिकल एवं पारा मेडिकल शिक्षा ले पायेंगे बल्कि कर्मचारियों एवं आमलोगों को उत्तम स्वास्थ्य सुविधाएं मिलेंगी. यह स्थानीय युवकों के लिए शैक्षणिक एवं रोजगार के मौके सृजित करेंगे.
भारतीय चिकित्सा परिषद की अकादमिक समिति के चेयरमैन वेद प्रकाश मिश्रा की अध्यक्षता वाली 12 सदस्यीय समिति ने इन अस्पतालों को निजी-सार्वजनिक भागीदारी के तहत मेडिकल कालेज और स्पेशलिटी केंद्रों में परिवर्तित करने का सुझाव दिया है. इससे न केवल इससे केंद्र सरकार पर कोई वित्तीय बोझ भी नहीं पड़ेगा.