… तो क्‍या अब मुकुल रोहतगी नहीं होंगे अटॉर्नी जनरल, सरकार से पदमुक्त करने का किया अनुरोध

नयी दिल्ली : अटॉर्नी जनरल (एजी) मुकुल रोहतगी ने सरकार को सूचित किया है कि वे इस पद से मुक्त होना चाहते हैं. वह यह जिम्मेदारी बीते तीन वर्षों से संभाल रहे थे. रोहतगी ने कहा कि उन्होंने पिछले महीने सरकार को पत्र लिखकर सूचित किया था कि वह देश के शीर्ष विधि अधिकारी के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 11, 2017 10:45 PM
an image

नयी दिल्ली : अटॉर्नी जनरल (एजी) मुकुल रोहतगी ने सरकार को सूचित किया है कि वे इस पद से मुक्त होना चाहते हैं. वह यह जिम्मेदारी बीते तीन वर्षों से संभाल रहे थे. रोहतगी ने कहा कि उन्होंने पिछले महीने सरकार को पत्र लिखकर सूचित किया था कि वह देश के शीर्ष विधि अधिकारी के पद पर पुन: नियुक्ति नहीं चाहते और अपनी निजी प्रैक्टिस शुरू करने की इच्छा रखते हैं.

उन्होंने बताया कि मई 2014 में सत्ता में आने के बाद उनकी नियुक्ति नरेंद्र मोदी सरकार ने की थी और उन्होंने अपना तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा किया. रोहतगी ने कहा कि उन्हें ऐसा लगता है कि यह अवधि पर्याप्त है और अब वह अपनी प्रैक्टिस पर लौटना चाहते हैं.

मोदी सरकार के सत्ता में आने के तत्काल बाद रोहतगी को एजी नियुक्त किया गया था. इस दौरान उन्होंने उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति से संबंधित एनजेएसी अधिनियम को चुनौती जैसे कई विवादित मुद्दे संभाले. हाल में, उन्होंने ‘तीन तलाक’ के मामले में शीर्ष अदालत को सहायता प्रदान की थी, इस मामले में अभी फैसला नहीं आया है.

इस महीने की शुरुआत में मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने आगामी आदेश तक उनका कार्यकाल बढ़ा दिया था. दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति अवध बिहारी रोहतगी के पुत्र मुकुल रोहतगी ने 2002 गुजरात दंगों के मामले में उच्चतम न्यायालय में गुजरात सरकार का प्रतिनिधित्व किया था.

उन्होंने फर्जी मुठभेड मामलों मसलन बेस्ट बेकरी तथा जाहिरा शेख मामलों में भी सरकार का प्रतिनिधित्व किया था. रोहतगी कॉर्पोरेट मामलों के वकील हैं. 2जी घोटाले में वह बड़ी कॉर्पोरेट कंपनियों की ओर से पेश हुए थे.

Exit mobile version