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यौन हिंसा के कारण एड्‌स की शिकार बन रही हैं महिलाएं

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यूं तो महिलाएं हर तरह की अपराध की शिकार होती हैं, लेकिन कुछ अपराध ऐसे हैं जो सिर्फ महिलाओं के खिलाफ होते हैं और उन्हें ‘महिलाओं के खिलाफ हिंसा’ की श्रेणी में रखा गया है. शारीरिक और यौन हिंसा महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा में प्रमुख है. चौंकाने वाली बात यह है कि विश्व […]

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यूं तो महिलाएं हर तरह की अपराध की शिकार होती हैं, लेकिन कुछ अपराध ऐसे हैं जो सिर्फ महिलाओं के खिलाफ होते हैं और उन्हें ‘महिलाओं के खिलाफ हिंसा’ की श्रेणी में रखा गया है. शारीरिक और यौन हिंसा महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा में प्रमुख है. चौंकाने वाली बात यह है कि विश्व की एक तिहाई महिलाएं इस तरह की हिंसा की शिकार है. WHO की रिपोर्ट के अनुसार साथी और गैर साथी द्वारा यौन हिंसा की शिकार 35 प्रतिशत महिलाएं होती हैं. गौर करने वाली बात यह है कि विश्व भर में करीबी साथी के द्वारा इस तरह की हिंसा की शिकार 30 प्रतिशत महिलाएं होतीं हैं. शारीरिक और यौन हिंसा की शिकार महिलाओं के स्वास्थ्य पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ता है. कानून में सजा का प्रावधान होने के बावजूद इस तरह की घटनाएं रूकने का नाम नहीं ले रही हैं. वर्ष 2014 में भारत में ‘महिलाओं के खिलाफ हिंसा’ की 3,37,922 घटनाएं घटी.

शारीरिक और यौन हिंसा के घातक परिणाम
शारीरिक और यौन हिंसा के परिणाम के रूप में आत्महत्या, हत्या जैसी घटनाओं का सामने आना है. हिंसा की शिकार महिलाएं कई बार आत्महत्या के लिए मजबूर हो जाती हैं, तो कई बार उनकी हत्या भी कर दी जाती है. वहीं हिंसाग्रस्त महिलाओं में एड्‌स का खतरा भी बढ़ रहा है. कई ऐसे मामले सामने आये हैं जहां यौन हिंसा की शिकार महिला एड्‌स से पीड़ित हो गयी.

यौन हिंसा का शारीरिक और मानसिक प्रभाव
यौन हिंसा की शिकार महिलाओं में कई तरह की शारीरिक और मानसिक परेशानियां उभरकर सामने आती हैं. मसलन अनचाहा गर्भ, बांझपन, यौन रोग, यौन संक्रमण, भूख कम लगना, मूत्र मार्ग में संक्रमण और माइग्रेन जैसी बीमारियां. वहीं कई तरह की मानसिक समस्याएं भी उभरकर सामने आतीं हैं, जिनमें अवसाद सबसे प्रमुख है, इसके अलावा फोबिया, सदमा, डर, अपराधबोध प्रमुख हैं.
क्या है महिलाओं के खिलाफ हिंसा
महिलाओं के खिलाफ हिंसा को दो वर्गों में विभाजित किया है- 1. भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत आने वाले अपराध 2. विशेष और स्थानीय कानून के अंतर्गत आने वाले अपराध. चौंकाने वाली बात यह है कि पूरे विश्व में महिलाओं के खिलाफ हिंसा होती है और WHO के अनुसार
भारतीय दंड संहिता (IPC) के अंतर्गत आने वाले अपराध हैं- बलात्कार ,बलात्कार की कोशिश, अपहरण, भगाना, दहेज हत्या, आक्रोश व्यक्त करने के लिए महिला पर आक्रमण इसमें यौन शोषण भी शामिल है. घर, बाहर, आफिस में दुर्व्यवहार, पति या रिश्तेदारों द्वारा की गयी क्रूरता, लड़कियों को विदेश भेजना, महिला को आत्महत्या के लिए उकसाना इत्यादि.
विशेष और स्थानीय कानून के अंतर्गत वैसे अपराध आते हैं जो लिंग आधारित हैं, कहने का मतलब यह है कि ऐसे अपराध जो सिर्फ महिलाओं के साथ होते हैं और जिनके लिए विशेष कानून भी बनाये हैं मसलन- दहेज प्रथा निषेध अधिनियम, किसी महिला को अश्लील तरीके से प्रस्तुत करना, सती प्रथा निषेध अधिनियम, घरेलू हिंसा निषेध अधिनियम इत्यादि

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