21.1 C
Ranchi
Friday, February 7, 2025 | 11:34 am
21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

आखिर क्यों 12वीं तक अव्वल रहने वाली लड़कियां, जीवन की रेस में लड़कों से नहीं ले पातीं लीड?

Advertisement

आज का दौर महिला सशक्तीकरण का दौर है. सरकार भी इस दिशा में तेजी से काम कर रही है. आप किसी भी बोर्ड के 10वीं और 12वीं के परीक्षा परिणाम को देखें, तो पायेंगे कि लड़कियां, लड़कों से बाजी मार लेती हैं, लेकिन इसके बाद लड़कियों का प्रदर्शन लड़कों के मुकाबले में पिछड़ने लगता है […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

आज का दौर महिला सशक्तीकरण का दौर है. सरकार भी इस दिशा में तेजी से काम कर रही है. आप किसी भी बोर्ड के 10वीं और 12वीं के परीक्षा परिणाम को देखें, तो पायेंगे कि लड़कियां, लड़कों से बाजी मार लेती हैं, लेकिन इसके बाद लड़कियों का प्रदर्शन लड़कों के मुकाबले में पिछड़ने लगता है और वे हर क्षेत्र में अपनी जगह बनाने के लिए संघर्ष करने लगती है. बात चाहे प्रशासनिक सेवा की हो, बिजनेस फील्ड, इंजीनियरिंग, मेडिकल या राजनीति की ही क्यों ना हो, लड़कियां पीछे नजर आती हैं. ऐसा आखिर क्यों?

- Advertisement -

निर्णय लेने में हिचकती हैं महिलाएं

भारतीय सामाजिक व्यवस्था कुछ इस तरह की है और लड़कियों की nourishing (देखभाल या परवरिश) ही कुछ इस तरह से की जाती है कि वे निर्णय लेने में हिचकती हैं. 12वीं के बाद जब समय आता है कैरियर को लेकर निर्णय करने का तो वे दुविधा में फंस जाती हैं और कई बार सही निर्णय नहीं कर पातीं. यह एक बड़ा कारण दिखता है, जिसके कारण लड़कियां उच्च शिक्षा और कैरियर की दौड़ में पिछड़ जाती हैं. कई बार उनके निर्णय भी अपने नहीं होते अभिभावक निर्णय लेते हैं, जिसके कारण लक्ष्य साधने की उनकी क्षमता और रुचि दोनों प्रभावित होती है.

नेतृत्व क्षमता का अभाव

महिलाओं में नेतृत्व क्षमता का अभाव दिखता है. वे इस बात के लिए तैयार नहीं दिखती हैं कि वे कार्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों में नेतृत्व दे सकती हैं. पारंपरिक सोच के अनुसार पुरुष ही नेतृत्व करता आया है, बात चाहे धर्म की हो, समाज की या राजनीति की. यही कारण है कि महिलाएं नेतृत्व करने में संकोच करती हैं, यह बात कई सर्वे में सामने आयी है. महिलाएं स्वभाव से पुरुषों की अपेक्षा कम महत्वांकाक्षी होती हैं, जिसके कारण भी वे पिछड़ती जाती हैं.

लड़कियों पर खर्च करने में संकोच करते हैं अभिभावक

इसमें कोई दो राय नहीं कि महिलाओं के प्रति समाज का सोच बदला है. बावजूद इसके आज भी अभिभावक लड़कियों पर इंवेस्ट करने की बजाय लड़कों पर करना ज्यादा सुरक्षित समझते हैं. इसके कारण लड़कियां मनपसंद कैरियर नहीं चुन पाती हैं और पिछड़ती जाती हैं.

समाज आज भी महिलाओं पर नहीं करता विश्वास

अपवाद को छोड़ दें, तो यह कहने में कोई गुरेज नहीं होना चाहिए कि समाज आज भी महिलाओं पर विश्वास नहीं करता, जिसके कारण किसी भी क्षेत्र में महिलाएं ‘कीपोस्ट’ तक नहीं पहुंच पातीं. उनके लिए राह बहुत कठिन होती है बनिस्पत एक पुरुष के.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें