डायबीटीज जानने के कारणों के लिए कई टेस्ट कराने पड़ते हैं लेकिन हाल ही में हुए एक शोध में हारमोंस की मदद से बचपन से ही टाइप-2 डायबिटीज के कारणों का पता लगाया जा सकेगा.
द सबन रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ चिल्ड्रेंस हॉस्पिटल लॉस एंजिलिस में किए गए शोध के अनुसार, लेप्टिन नामक हार्मोन गर्भ में ही शिशु के मस्तिष्क और पैंक्रियाज (अग्नाशय) के बीच न्यूरॉन संपर्क की विकास प्रक्रिया को बाधित करने लगता है. नतीजतन पैंक्रियाज की कार्यप्रणाली अनियंत्रित हो जाती है.
ज्ञात हैं कि इसी ग्रंथि से ब्लड में शुगर की मात्र को नियंत्रित करने वाले हार्मोन इंसुलिन का स्नाव होता है. पैंक्रियाज के मस्तिष्क के संपर्क में नहीं होने के कारण इंसुलिन की मात्र के असंतुलित रहने का खतरा रहता है. इसके कम या यादा होने पर डायबिटीज का आशंका बढ़ जाती है.
लेप्टिन का स्नाव फैट सेल्स द्वारा होता है. यह हार्मोन शरीर में ऊर्जा संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. चूहों पर इसका सफल परीक्षण किया गया है.