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हैप्पीनेस देता है मेडिटेशन

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मेडिटेशन कई प्रकार से किया जा सकता है, लेकिन सबका मुख्य उद्देश्य तनाव को दूर करना और मानसिक शांति प्रदान करना ही होता है. तनाव दूर करने के कारण यह कई रोगों से भी बचाने में सहायता करता है. ॐ का वैज्ञानिक महत्व ऑफिस में ऐसे करें अभ्यास आजकल आॅॅफिस में कर्मचारियों को खास सुविधाएं […]

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मेडिटेशन कई प्रकार से किया जा सकता है, लेकिन सबका मुख्य उद्देश्य तनाव को दूर करना और मानसिक शांति प्रदान करना ही होता है. तनाव दूर करने के कारण यह कई रोगों से भी बचाने में सहायता करता है.
ॐ का वैज्ञानिक महत्व
ऑफिस में ऐसे करें अभ्यास
आजकल आॅॅफिस में कर्मचारियों को खास सुविधाएं दी जाती हैं. बहुत से ऐसे अच्छे संस्थान हैं जहां पर रेस्ट के लिए खास स्पेस होते हैं. वहां जाकर आप ध्यान लगा सकते हैं. ऐसा अगर नहीं है, तो कुरसी पर बैठे-बैठे भी आप रिलैक्स हो सकते हैं. इसके लिए धीरे-धीरे आंखे बंद करें. शोरगुल से बचने के लिए इयरप्लग का यूज कर सकते हैं. अगर यह न मिले, तो रूई से भी काम चला सकते हैं. उसके बाद धीरे-धीरे सांस लें और छोड़ें. इस दौरान सांस लेने की प्रक्रिया को महसूस करें. पांच से 10 मिनट के लिए भी अगर आप यह कर सकते हैं, तो खुद को ऊर्जावान पायेंगे.
ध्यान और प्रार्थना
ध्यान और प्रार्थना दोनों ही अलग हैं. ध्यान करने के पहले प्रार्थना जरूरी है. इससे आपका शरीर ध्यान के लिए तैयार हो जाता है. इसके अलावा प्रार्थना में आप कई सारे मंत्र का उच्चारण करते हैं.
उसके अनेक फायदे हैं. कई सारे मंत्र हैं, जिन्हें जपा जाता है. कुछ अध्ययनों के अनुसार मंत्रों के जाप से सालाइवा अर्थात् लार निकलता है. यह स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद है. सलाइवा से हमारी पाचनशक्ति मजबूत होती है. इस तरह यह मानव शरीर के लिए दवा की तरह काम करता है. यह ठीक उसी प्रकार है, जैसे-अचार को देख कर हमारे मुंह में पानी आता है. ठीक वही काम सलाइवा करता है. इससे कई सारे क्रॉनिक डिजीज जैसे-डायबिटीज, ब्लडप्रेशर और कैंसर से छुटकारा मिलता है.
बढ़ती है एकाग्रता
कई बार असंभव लगनेवाले काम भी एकाग्रता से संभव हो जाते हैं. उदाहरण के तौर किसी बच्चे को अगर स्कूल और घर दोनों जगह यह बोला जाये कि तुम पढ़ने में अच्छे नहीं हो, तो वह उस बात को ही सच मान लेता है. वहीं अगर उसे अगर मेडिटेशन कराया जाये और उसकी एकाग्रता को बढ़ाया जाये, तो उसे अपनी आंतरिक शक्ति के बारे में पता चलता है.
इससे वह पढ़ाई में अधिक ध्यान लगा पाता है. ऐसे में यदि छात्र रोज मेडिटेशन करे, तो उसे चीजें बेहतर तरीके से समझ में आती हैं. पढ़ाये गये पाठ भी याद रहते हैं. उसकी पढ़ाई बेहतर होती है और परीक्षाओं में भी इसका लाभ मिलता है. अत: छात्रों को रोज इसके अभ्यास की आदत डालनी चाहिए.
बातचीत व आलेख : दीपा श्रीवास्तव
ॐ शब्द तीन ध्वनियों से बना हुआ है – अ, उ, म. पहला शब्द है ‘अ’, जो कंठ से निकलता है. दूसरा है ‘उ’, जो हृदय को प्रभावित करता है. तीसरा शब्द ‘म’ है, जो नाभि में कंपन करता है. इसके गुंजन का नाड़ियों पर गहरा प्रभाव पड़ता है. मस्तिष्क, हृदय व नाभि में कंपन होने से जहरीली वायु तथा व्याप्त अवरोध दूर हो जाते हैं, जिससे नाड़ियां शुद्ध हो जाती हैं. इससे हमारा आभामंडल शुद्ध होता है और छिपी हुई सूक्ष्म शक्तियां जागृत होती हैं व आत्म अनुभूति होती है. हमारे मस्तिष्क में तीन तरह की तरंगें होती हैं-अल्फा, बीटा और डेल्टा. अल्फा मेंटल एक्टिविटी, बीटा फिजिकल एक्टिविटी और डेल्टा इमोशनल एक्टिविटी को प्रभावित करता है. ऊँ के उच्चारण से तीनों तरंगें प्रभावित होती हैं और तीनों रिलेक्स होती हैं. इससे शरीर, मन, मस्तिष्क, शांत होकर तनावरहित हो जाता है.
ॐ के फायदे
‘अ’, ‘उ’ एवं ‘म’ से मिल कर बने ॐ. इन तीन शब्दों के नियमित उच्चारण से सकारात्मकता और नयापन महसूस होता है. इससे होनेवाले फायदे इस प्रकार हैं-
मानसिक थकान : ॐ के उच्चारण से तनाव व घबराहट दूर होती है. इसके बार-बार जाप से मानसिक थकान भी दूर होती है.
रक्तचाप : ॐ का उच्चारण हृदय और खून के प्रवाह को भी संतुलित रखता है और रक्त संचार सही करता है. इससे हाइ या लो बीपी नहीं होती है.
पाचन क्रिया : पाचन क्रिया को दुरुस्त रखता है और शरीर पर सकारात्मक प्रभाव डालता है.
थायरॉयड : ॐ के उच्चारण से गले और स्वर में एक अजीब सी कंपन होती है. इसका सीधा और सकारात्मक असर थायरॉयड ग्रंथि पर पड़ता है.
प्राणायाम : प्राणायाम के साथ ॐ का उच्चारण करने से फेफड़े मजबूत होते हैं. उच्चारण के दौरान होनेवाले कंपन से रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है.
ताजगी और स्फूर्ति : नियमित उच्चारण से आलस्य दूर होता है. शरीर को ताजगी और स्फूर्ति मिलती है.
(योगगुरु धर्मेंद सिंह से बातचीत)
कितने तरह का होता है मेडिटेशन
वैसे तो मेडिटेशन सैकड़ों तरह से किया जाता है. इसमें से तीन सबसे खास हैं और अधिकतर योगगुरु इनकी सलाह देते हैं. इसके अलावा मेडिटेशन के अन्य प्रकार हैं उसे व्यक्ति की जरूरत और क्षमता के अनुसार अभ्यास करने की सलाह दी जाती है.
काउंटिंग : इसमें हजार से 500 तक गिनती गिनने की प्रक्रिया का अभ्यास करना होता है. इस दौरान आंखों को बंद करके धीरे-धीरे मन में गिनती करनी होती है. इसके लिए किसी शांत जगह पर बैठ कर अभ्यास करें. इस बात का ध्यान रखें कि गिनती रोज बदलनी चाहिए यानी पहले दिन अगर हजार से 500 तक गिन रहे हैं, तो दूसरे दिन 300 से 500 कर दें, ताकि दिमाग कुछ नया करें.
अराध्य : अपने अराध्य की छवि की कल्पना करते हुए आंखों को बंद कर लें. उसके बाद मंत्र उच्चारण करें. यह प्रक्रिया मन में ही करनी चाहिए. यह प्रक्रिया 108 बार करें. ध्यान रखें कि इसका अभ्यास धीरे-धीरे करें. मंत्र को जल्दबाजी में खत्म करने की कोशिश कतई न करें.
ॐ : इसमें ओंकार का उच्चारण करना होता है. इस दौरान गहरी सांस लें और सांस छोड़ते वक्त ॐ का उच्चारण करें. 15 मिनट से इसकी शुरूआत करें और धीरे-धीरे समय बढ़ा दें.
ॐ का उच्चारण एक अन्य तरीके से भी किया जा सकता है. इसमें अ-ओ-म का उच्चारण करना होता है. पहले सांस लेते वक्त मुंह बंद करके अ का उच्चारण करें. फिर ओ का उच्चारण और फिर म का उच्चारण करें. म का उच्चारण करते वक्त आपको लगेगा कि कुछ वाइब्रेशन हो रहा है. ध्यान रखें कि म का उच्चारण करते वक्त मुंह बंद हो. इसको भी शुरू में 15 मिनट करें फिर समय बढ़ाते जाएं.
क्या है विपश्यना साधना
विपश्यना आत्मशुद्धि और आत्म निरीक्षण की एक अत्यंत प्राचीन क्रिया साधना है. इसका अर्थ श्वास के प्रति सजग होना है. प्राचीन काल से ही ऋषि झूठ, पाप, अत्याचार, व्यभिचार, काम, क्रोध आदि से अलग-थलग संयम और सदाचार का जीवन जीने, मन को साधने और आत्मा को निर्मल बनाने के लिए इस क्रिया का सहारा लेते रहे हैं.
महात्मा बुद्ध ने सरलीकरण करके इसका प्रचार-प्रसार किया. इसके उन्होंने दो रूप दिये – बैठे-बैठे ध्यान योग द्वारा और शांत-चित्त से एवं अंगो को शिथिल करके टहलते हुए. विपश्यना झूठ, पाप, व्याभिचार से अलग सदाचार, आत्मसुख से जीवन जीने की एक ध्यान विधि है, जिसमें जागरूक रह कर मन की गतिविधियों का वस्तुत: अवलोकन करना होता है. रोग-शोक तथा सांसारिक दु:खों से छुटकारा पाने के लिए विपश्यना साधना राम बाण सिद्ध हुई है.

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